कैसे हुआ रूस में हिंदू धर्म का पतन ?
कहा जाता है कि जैसे-जैस वैदिक धर्म का पतन होने लगा वैसे-वैसे यहां मनमानी पूजा और पुजारियों का बोलबाला होने लगा.
इस वजह से 10वीं शताब्दी के आखिर में रूस की कियेव रियासत के राजा व्लादीमिर की यह इच्छा थी कि उनकी रियासत के लोग देवी-देवताओं को छोड़कर किसी एक ईश्वर की पूजा करें.
उस वक्त दो नए धर्म प्रचलित थे एक तो ईसाई धर्म और दूसरा इस्लाम. दोनों धर्मों के बारे में अध्ययन करने के बाद व्लादीमिर ने ईसाई धर्म को स्वीकार करने का फैसला किया और अपनी जनता से भी इस धर्म को अपनाने की अपील की.
हालांकि ईसाई धर्म को अपनाने के बाद भी यहां के लोगों ने अपने प्राचीन देवी-देवताओं की पूजा नहीं छोड़ी.
लेकिन ईसाई धर्म के पादरियों की लगातार अपने धर्म को प्रचार करने की वजह से ईसाई धर्म के आगे धीरे-धीरे रूस में हिंदू धर्म का अस्तित्व खत्म होने लगा.