हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान बहुत सारी चीजों का उपयोग होता है – ये पूजा सामान जैसे घी, घंटी, शंख, धुप, अगरबत्ती, चन्दन, और तिलक.
इन पूजा सामान का उपयोग पूरी आस्था के साथ किया जाता है. इन सबको पूजा सामग्री का महवपूर्ण अंग माना जाता है. इन पूजा सामान के बिना किसी घर में पूजा नहीं हो पाती. कई घरों में इन सब चीजों का एक साथ उपयोग होता है.
लेकिन क्या आपने सोचा ही की इनका उपयोग क्यों किया जाता है.
स्नान-साफ़ वस्त्र
हर पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ होने की बात कही जाती है. स्नान करने के पीछे अच्छी सेहत, स्वस्थ शरीर, और साफ़ सफाई से जीवन की शरुआत करना होता है. ताकि हर इंसान आलस और रोग से मुक्त रहे. अपना आसपास साफसुथरा और स्वच्छता बनाए रखे. साफ़ कपडे पहनने से बाहरी कीटाणु-जीवाणु से रक्षा होती है.
धुप– अगरबत्ती
गाय के गोबर में चन्दन, इत्र, और घी को मिलकर अगरबती और धुप बनाया जाता था. इससे बिमारी फ़ैलाने वाले हवा में घुले सूक्ष्म जीवो का नाश होता है. आसपास की बदबू घर में नहीं फैलती और घर का वातावरण सुगंध से भरा रहता है. जिससे घर में साकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है . इसलिए घर का हर सदस्य को नहाने के बाद पूजा घर में धुप और अगरबत्ती जलाने के लिए कहा जाता है.
घंटी– शंख
ध्वनि में एक चमत्कारिक शक्ति होती है, जो आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है और मन को एक जगह केन्द्रित करने में मदद करता है. शास्त्रों में ये कहा गया है कि शंख समुद्र मंथन से निकलने वाले रत्नों में से एक है. वास्तु विज्ञान के अनुसार वास्तु संबंधी कई समस्याओं को हटाता है. घर में सुख समृद्धि आती है. सकरात्मक ऊर्जा को खिचती है. वायु शुद्ध और ऊर्जावान बनती है. शंख से आस-पास का माहौल शुद्ध और पवित्र होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार शंख बजाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है. फेफड़ों के जुड़े रोग नहीं होते. गर्भवती स्त्री को इसका पानी पिलाने से शिशु स्वस्थ रहता है.
घी
देशी घी के जलने से वातवरण में शुद्धता और स्वच्छता आती है. घी के धुंए से नाक के अंदर की नली साफ़ हो जाती है और बुरे दोष खत्म हो जाते हैं. घी का धुआं नाक के साथ आँखों के लिए भी लाभ दायक होता है.
तांबे के बर्तन में रखे जल को बाँटना
हिन्दू धर्म के लोग पहले से तांबे के गुणों से परिचित थे और उसके होने वाले फायदे को जानते थे. तांबा स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. इसमें रखे पानी को पीने से बिमारी से मुक्ति मिलती है और स्मरण-शक्ति अच्छी बनी रहती है. पानी को तांबे के बर्तन के अंदर भरकर रखने से तांबे का गुण पानी में आ जाता है, जिसको पीने से लीवर संबंधी समस्या नहीं होती और तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है.
कुमकुम हल्दी या चन्दन का तिलक
हर पूजा में पूजा के दौरान या पूजा के बाद माथे पर तिलक किया जाता है. यह तिलक चन्दन, हल्दी. या कुमकुम का होता है. ये सारी चीजे ठंडक वाली चीजे हैं. इनके उपयोग से मस्तिस्क में सकरात्मक प्रभाव पड़ता है. ध्यान केन्द्रित होता है. मन स्थिर और एकाग्रचित बना रहता है. इसलिए पूजा के दौरान इन सब चीजो को माथे के मुख्य भाग पर लगाते हैं, जहाँ से ही आँख नाक मुंह और चेहरे के सारे हिस्सों का केंद्र होता है.
ये सब ज्योतिष शास्त्र, योग शास्त्र, और आयुर्वेद का हिस्सा है. हमारे पूर्वज इन सब ज्ञान से परिचित थे. इसलिए इन सबको पूजा में शामिल करके हमे अच्छा स्वस्थ और शुद्ध वातावरण देना चाहते थे.
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