हिंदू मुस्लिम सोच – भारत में अनगिनत समुदाय, जाति धर्म के लोग रहते हैं ।
इसलिए यहां की संस्कृति में विविधता की झलक साफ देखने को मिलती हैं । भारत में मनाए जाने वाले होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस जैसे त्योहारों से अलग अलग समुदाय की संस्कृति को जाने का समझने का मौका मिलता है । और देखा जाए तो यही हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत भी हैं ।
लेकिन मौजूदा मौहाल को देख कर लगता है ये ताकत कम होती जा रही है। हाल ही में 26 जनवरी के मौके पर यूपी के कासगंज में हुआ सांप्रदायिक झड़प और दिल्ली में अंकित सेक्सान की धर्म के नाम पर हत्या तो याद ही होगी । अब तक धर्म और समुदाय के नाम केवल राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक के लिए राजनीति करते देखा था । लेकिन अब लगता है भारत की बदहाल होती राजनीति का असर लोगों पर भी पढने लगा है ।
हमारे संविधान में सभी को आजादी से जीने का अधिकार है । स्कूल में भी आपने कभी मुस्लिम समुदाय के बच्चों को अलग और हिंदू समुदाय के बच्चों को अलग बैठते नहीं देखा होगा । क्योंकि बच्चों के अंदर इस तरह की कोई भी हीन भावना नहीं होती । कॉलेज में भी सभी धर्मों के स्टूडेंस एक साथ पढ़ते हैं . क्योंकि इन संस्थाओं में स्टूडेंस को उनकी काबलियत के आधार पर देखा जाता है । धर्म या समुदाय के नाम पर नहीं । लेकिन फिर एक दूसरे के धर्म के प्रति हीन भावना का स्त्रोत उत्पन्न कहां से होता है ?
हिंदू – मुस्लिम समुदाय के बीच मित्रता बढाने के स्थान पर राजनीतिक पार्टियां आक्रोश फैलाने का काम करती हैं । रैलियों में भाषण के जरिए ये लोगों को दूसरे समुदाय के खिलाफ भड़काया जाता है । लेकिन सवाल उठता है । कि राजनीति के नाम पर राजनेता तो धर्म , जाति की राजनीति कर जाते हैं । लेकिन इसका असर हमारी युवा पीड़ी पर क्या पड़ रहा है क्या इसके बारे में कभी कोई सोचता हैं अक्सर किसी की बातों से हम इतने प्रभावित होते हैं । कि उस इंसान की गलत बातें भी हमें सही लगने लगती है । कुछ ऐसा ही हमारी युवा पीडी के साथ भी हो रहा है । जो अपने फेवरिट राजनेता या राजनीतिक पार्टी से प्रभावित होने के कारण उनकी हर बात को सही माने लगते हैं । और जिन युवाओं को स्कूल में शायद धर्म समुदाय , जाति का फर्क समझ तक नहीं आता था ।
हिंदू मुस्लिम सोच अपना असर दिखा रही है – अब वो खुद धर्म समुदाय की लकीरें खींचने लगे हैं। कश्मीर में अलगावादी नेता युवाओं का मांइड वास करके उन्हें खुद के देश के खिलाफ भड़काते हैं । तो कहीं दूसरे धर्म के लड़का लड़की के साथ रिलेशनशिप रखने पर बीच सड़क में मार दिया जाता है । ये हिंदू मुस्लिम सोच का नतीजा है – दो समुदायों की झडप को ट्वीटर पर आतंकवाद का नाम दे दिया जाता है । बिना ये सोचे की आने वाले भविष्य में इन बातों के क्या प्रभाव हो सकते हैं । पर कही न कही देखा जाए तो इसके लिए केवल राजनीति या अन्य चीजों को दोष नहीं दिया जा सकता ।
क्योंकि हम धर्म सुमदाय के नाम से प्रभावित होते है इसलिए तो वो हमें प्रभावित कर पातें । अक्सर हम ये भूल जाते हैं कि हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई किसी भी धर्म से क्यों ना हो लेकिन जब हमारे शरीर की बनावट में कोई अंतर नहीं है तो हमें कैसे हो सकता हैं ?
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