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हिन्दू-मुस्लिम अब क्यों नहीं हो सकते हैं भाई-भाई ! पढ़िए और दीजिये अपनी राय

आज न केवल भारत में, बल्कि समूचे विश्व में धर्म के नाम पर कत्लेआम हो रहा है.

आखिर क्यों हिन्दू-मुस्लिम आपस में भाई—भाई नहीं हो सकते हैं. क्या किसी ने जानने की कोशिश की कि ये दोनों आपस में भाई बनने को तैयार क्यों नहीं है, या फिर इस दरार को पाटने के लिए कोई कदम उठाए?

आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही कुछ तथ्यपरक बातें, जिन्हें पढ़ने के बाद आप भी यकीन करने लगेंगे कि इन्हीं बातों के कारण आज ये भाई—भाई बनने को तैयार नहीं हैं-

1. इतिहास को जब तक आग नहीं लगाई जाएगी

जिस तरह का इतिहास किताबों में लिखा हुआ है उसके रहते भाई-भाई होना मुश्किल है. स्कूल—कॉलेजों के दौरान ही बच्चों के दिमाग में एक धारणा बन जाती है कि मुसलान बहुत ही कट्टर स्वभाव के होते हैं और इसी तरह मुस्लिम सोचते हैं. जब तक इस इतिहास में हिन्दू-मुस्लिम को लेकर कट्टरता बनी रहेगी, तब तक भाई-भाई होना मुश्किल है.

2. आप देखिये इतिहास क्या कहता है

सल्तनत-ए-दिल्ली पर 1210 से 1526 पांच मुगल शासकों का कब्जा रहा. मोहम्मद गौरी ने भारत को लूटा, ख़िलजी के शासनकाल में बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश कर उन्हें अपवित्र भी किया गया था. 962 ईस्वी में दक्षिण एशिया के हिन्दू और बौद्ध साम्राज्यों के उपर फारस और मध्य एशिया से आई मुस्लिम सेना ने व्यापक हमलें किए, जो बेहद बर्बरता पूर्ण थे. आज हर हिंदु इस वाक्या को सोचकर सहम उठता है. इसी तरह से मुस्लिमों को बताया जाता है कि हिन्दुओं ने आजादी के बाद मुस्लिमों पर अत्याचार किया है.

3. मुस्लिम पूर्वजों का कारनामा

महमूद गजनवी ने सिंधु नदी के पूर्व में तथा यमुना नदी के पश्चिम में बसे साम्राज्यों को 17 बार लूटा. महमूद गजनवी के बाद भी मुस्लिम सरदारों ने पश्चिम और उत्तर भारत को लूटना जारी रखा. परंतु वो भारत में स्थायी इस्लामिक शासन स्थापित न कर सके. भारत में इसके अत्याचारों को पढ़ने के बाद हिंदुओं में मुसलमानों के प्रति आग भड़कने लगती है.

4. मौलवी—पुजारियों का भड़काना

हिन्दू-मुस्लिम को भड़काने में धर्म के सबसे बड़े ठेकेदार कहने वाले मौलवी और पुजारी भी शामिल हैं. ये दोनों एक दूसरे के धर्मों का गलत प्रचार कर इन्हें बरलाकर आपस में एक—दूसरे को लड़वाते है और जानी दुश्मन बना देते हैं.

5. राजनीति

हमारे देश में राजनीति भी धर्म और जाति को ध्यान में रखकर की जाती है,जिसमें इन दोनों धर्मों को मानने वाले को इसका शिकार होना पड़ता है. कई बार तो धर्म को देखकर वोट बैंक की राजनीति तक की जाती है. मुसलमानों ने आगे आकर इस बात का विरोध भी किया है कि उनके साथ केवल वोट बैंक की राजनीति होती है, उनके अधिकारों के प्रति कोई भी लड़ने को तैयार नहीं है. कई मंत्री और नेता गलत बयान बोलने वालों को पाकिस्तान तक जाने की नसीहत दें चुके हैं.

6. लव जिहाद

आज देश में लव जिहाद के नाम पर झूठा प्यार कर मुसलमान लड़के हिंदु लड़कियों को फंसाने की साजिश रचते हैं और उनके जाल में फंसते ही उनसे शादी का झूठा नाटक कर इसकी एवज में मोटी रकम वसूलते हैं. इसके बाद उन्हें छोड़ देते हैं. ऐसा नहीं है कि सब मुसलमान इस कुकृत्य को अंजाम देते हैं, लेकिन कुछ की वजह से आज हर मुसलमान संदेह के कटघरे में खड़ा होने को मजबूर है. हमारी फिल्म इंडस्ट्री में कई हिंदु—मुसलमान सेलिब्रिटी जोड़े मिल जाएंगे, जिनका निकाह आज तक मिसाल के तौर याद किया जाता है.

7. भाई-भाई तब तक नहीं जब तक आतंकवाद से मुस्लिम नाम नहीं हटेगा

आज किसी भी देश में बम धमाका होता है, या फिर किसी हमले को अंजाम दिया जाता है, तो उसके पीछे का साजिशकर्ता हमेशा मुसलमान ही पाया जाता है. हाल ही हुआ ढाका हमला, फ्रांस हमला, पाकिस्तान में हमला,मुंबई हमला. इन सबमें मुसलमान ही शामिल थे. ये भी नफरत फैलाने का काम करता है.

8. आतंकी संगठनों में शामिल मुसलमान

लश्करै—तैयबा, जैश ए मोहम्मद, आईएसआईएस, हिजबुल मुजाहिद्दीन संगठन इन सबमें शामिल होने वाले आतंकी मुसलमान ही हैं, जो अन्य देशों के खिलाफ तबाह करने की साजिश रचते हैं. इसी कारण अमेरिका में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश में मुसलमानों की एंट्री पर बैन लगाने की घोषणा कर दी थी.

9. जब तक शिक्षा नहीं दी जाएगी

हिन्दू-मुस्लिम एकता तब तक नहीं हो पायेगी, जब तक कि यह लोग शिक्षित नहीं हो जाते हैं. खासकर जबतक मुस्लिम लोगों को शिक्षित नहीं किया जायेगा तब तक भाई-भाई होना मुश्किल है.

10. मुस्लिमों में कट्टरता जब तक रहेगी

मुस्लिम इतना कट्टर है कि वह कुछ भी समझने के लिए तैयार नहीं है. हिन्दू की लड़की तो मुस्लिम से शादी कर लेती है लेकिन मुस्लिम इतने कट्टर है कि अपनी बेटी से हिन्दू का विवाह नहीं कर रहे हैं. जब तक यह काम नहीं होगा तब तक भाई-भाई होना मुश्किल है.

ये है वजहें हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई नहीं हो सकते  – असल में यह लड़ाई अधिकारों की न बनकर हिन्दू-मुस्लिम एक दूसरे को दबाकर अपना वर्चस्व कायम करने की है, जिसमें हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही शामिल हैं. दंगा फैलाना और दंगे को राजनीतिक का रूप देना ये दोनों ही गलत है. उम्मीद है आपको हमारे विचार पसंद आए होंगे. इस पर अपनी राय जरूर दें.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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