“हम और हिन्दी या हिन्दी और हम” इस बात को हम और आप जिस तरीके से लेना चाहे ले सकते हैं.
हमारी इस बात से किसी भी भाषा को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि भाषा अपने आप में इतनी महान होती हैं कि वह हमें चलाती हैं हम उसे नहीं लेकिन फिर भी हम इसी गलतफ़हमी में रहते हैं कि हमारे कारण ही भाषा का अस्तित्व हैं.
आज से पहले कितनी तरह की भाषा, बोलियां और लिपियाँ अस्तित्व में आई, भले ही उन भाषाओं को बोलने वाले लोग ख़त्म हो गए लेकिन वह भाषाएँ आज हमारे पास किसी न किसी रूप में बची हैं.
आज के दौर में इन्टरनेट सवांद का एक बड़ा ज़रिया बन चूका हैं, जिसमे दुनिया की तमाम भाषाएँ उपलब्ध हैं लेकिन अभी कुछ दिन पहले हुए इन्टरनेट गवर्नेंस फोरम के एक सर्वे के मुताबिक इन्टरनेट पर भारतीय भाषाओँ की उपस्थित पर सवाल उठाता हैं.
सर्वे में पूछे गए कुछ सवालों में से एक सवाल यह था कि इन्टरनेट यूजर किस भाषा के उपयोग को सबसे अधिक प्राथमिकता देते हैं? इसके जवाब में लोगों ने कहा कि लगभग 97% लोग अग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
सर्वे के कई सवाल भारतीयों की पसंद से भी जुड़े हुए थे, जिसमे पहला सवाल यह था कि भारतीय कौन सी भाषा सीखना पसंद करते हैं? और दूसरा सवाल यह था कि वह कौन सी भाषा हैं जिसे भारतीय संपर्क करने के लिए इस्तेमाल करते हैं? सर्वे में पूछे गए ऐसे कई सवाल भारतीय भाषाओँ की इन्टरनेट पर कम उपस्थिति की कहानी बयान करते हैं. इस तर्क में यह जवाब मिला कि इन्टरनेट पर हिन्दी भाषा में कोई ढंग की सामग्री उपस्थित ही नहीं हैं इसलिए लोग अंग्रेज़ी का इस्तेमाल अधिक करते हैं.
खैर अभी चर्चा का विषय यह हैं कि अब हमारा अपनी भाषा के साथ रिश्तें को जांचने का समय आ गया हैं, खासकर बात जब हिन्दी भाषा की हो तो. हर 14 सितम्बर को हम हिन्दी दिवस का ऐसे राग अलापते हैं जैसे कि आज अगर हमने हिन्दी की बात नहीं की तो यहाँ भाषा डायनासोर की प्रजाति की तरह कही विलुप्त हो जाएगी. बस एक दिन का हो-हल्ला और दुसरे दिन से सब फिर अपने काम में लग जाते हैं.
आज के वक़्त में भाषा के लिए काम करने वाले असल लोग कम ही मिलते हैं. इसका एक उदाहरण हमें ऐसा मिला. कुछ दिन पहले रेडिफ डॉट कौम के सीईओ अजित बालकृष्णन कहा कि पिछलें दस साल के आंकड़ों को देखे तो यह पता चलता हैं कि इन्टरनेट पर यूजर भारतीय भाषाओँ को नहीं चाहते हैं.
वही हिन्दी के लिए काम कर रहे गणेश देवी जैसे विद्वानों का कहना हैं कि हिन्दी का इस्तेमाल इन्टरनेट पर अभूतपूर्व रूप से बढ़ रहा हैं. इस बात की पुष्टि भाषाओँ के लेकर हाल ही में हुए एक व्यापक सर्वेक्षण से होती हैं, जिसमे यह ज्ञात हो पता हैं कि हिन्दी भाषा अपने कम इस्तेमाल की धारणा को तोड़कर आगे निकल रही हैं और वास्तविकता भी यही हैं कि इन्टरनेट पर हिन्दी से जुड़े लोग बढे रहे हैं. हालांकि इनकी संख्या अंग्रेज़ी की भाषा के मुकाबले कम हैं पर हिन्दी में वृद्धि ज़रूर हैं.
आप सब से भी एक सवाल हैं कि क्या आप को लगता हैं कि इन्टरनेट पर हिन्दी से जुड़ी अच्छी सामग्रियों की कमी हैं?
सभी पाठक अपने विचार ज़रूर दे.
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