रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन न केवल अमेरिका के आर्थिक और सामरिक हितों के आड़े आ रहे हैं बल्कि अब तो वे अमेरिका के डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डाॅनाल्ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच हाथ मिलाने में भी आड़े आ रहे हैं.
मौका था अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच लास वेगास में आखिरी प्रेसिडेंशियल डिबेट का. यहां ट्रंप और हिलेरी का एक दूसरे का सामना हुआ, लेकिन इस डिबेट के दौरान ट्रंप और हिलेरी – प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवरों ने एक दूसरे से हाथ तक नहीं मिलाया.
दरअसल, रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन से रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप पर संबंधों को लेकर हिलेरी ने उन पर बार बार हमला बोल रही है.
हिलेरी ने ट्रंप रूसी राष्ट्रपति की कठपुतली बताते हुए कहा कि ट्रंप को देश की इंटेलिजेंस एजेंसी से ज्यादा भरोसा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर है.
जबकि वहीं, ट्रंप का आरोप है कि हिलेरी क्लिंटन पुतिन से चिढ़ती हैं क्योंकि पुतिन ने उन्हें हर मामले में पीछे छोड़ दिया है. ट्रंप का कहना है कि मैं पुतिन को नहीं जानता, न ही वह मेरे बेस्ट फ्रेंड हैं लेकिन अगर अमेरिका रूस के साथ जाता है तो यह गलत क्या है.
बताते चलें कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों तथा होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने कुछ समय पहले यह कहा था कि डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी पर हुए हालिया साइबर हमलों तथा चोरी गए ईमेल के लीक होने के लिए रूसी नेतृत्व जिम्मेदार था.
गौरतलब है कि एक समय था जब संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया के प्रतिद्वंद्वी नेताओं के हाथ अपनी मौजूदगी में मिलवाता था. लेकिन आज कल स्थिति यह है कि अब अमेरिकी नेता आपस में ही हाथ नहीं मिला पा रहे हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार जिस प्रकार अंतरराष्ट्र्रीय मुद्दों में सबसे अधिक चर्चा रूस और पुतिन को लेकर हुई है. क्योंकि रूस राष्ट्रपति पुतिन दुनिया में अपनी आक्रामक नीति को लेकर जाने जाते हैं. पुतिन के नेतृत्व में रूस जिस प्रकार अमेरिका को चुनौती दे रहा है उसको लेकर अमेरिकी थिंक टैंक चिंतित है. हाल में पुतिन ने जिस प्रकार सीरिया में अमेरिका की नाराजगी को दरकिनार बशर अल असद की सरकार का सर्मथन किया उसने भी अमेरिका की चिंता भी बढ़ा दी है.
सीरिया में असद विरोधियों को रोकने के लिए रूस ने अपनी वायु सेना से उन पर जमकर बमबारी की है. गौरतलब है कि ऐसा माना जाता है कि सीरिया में असद विरोधियों को अमेरिका का समर्थन है. लेकिन पुतिन ने उनके खिलाफ हवाई हमले कर और इलाके परमाणु हथियार तैनात कर एक प्रकार से वहां अमेरिकी वर्चस्व को ही चुनौती दे दी है.
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