प्राचीन खजाना – भगवान के नाम पर यदि हमसे कोई भिखारी कुछ मांग ले तो हम उसे ज्यादा कुछ नहीं देते हैं। लेकिन दूसरी ओर भगवान के नाम पर हम बहुत कुछ करते भी हैं। देश में सरकार बनाने के लिए भगवान को बीच में लाया जाता है तो कहीं भगवान के नाम पर धंधे भी चल रहे हैं।
आसाराम बापू और राम रहीम जैसे कथित धर्मगुरुओं के जेल में जाने के बाद उनकी संपत्ति का ब्यौरा भी सार्वजनिक हुआ। इन बाबाओं की संपत्ति देखकर तो यही पता चला कि ये देश के कई बड़े व्यापारियों से भी अमीर हैं। इन बाबाओं की यह संपत्ति अपने भक्तों के बूते ही तो बनी है।
जब एक आम आदमी मुश्किलों से घिर जाता है तो वो इन धर्मगुरुओं व बाबाओं के पास ही जाता है। इसके अलावा वो अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मंदिरों में भी मत्था टेकता है और अपनी हैसियत के हिसाब से दान भी देता है। हमारे देश के कई प्राचीन मंदिरों में हर दिन करोड़ों का दान आता है और इनकी अमीरी का हमें अंदाजा भी नहीं है। 2016 के एक अनुमान के अनुसार आंध्रप्रेश स्थित प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में 7 टन सोना और 30 टन चांदी जमा है व यह दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
यह तो उस खजाने की बात हुई जो दान आदि से आया है। मगर देश में कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर भी हैं, जहां बरसों से खजाना छुपा हुआ है। प्राचीन खजाना भी इतना कि कुछ देशों की तो सरकारों के पास भी इतना धन न हो।
आइए आज हम बात करते हैं ऐसे ही कुछ प्राचीन मंदिरों की।
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित इस प्राचीन मंदिर का जिक्र विष्णुपुराण, मत्स्यपुराण, स्कंदपुराण व महाभारत आदि जैसे कई ग्रंथों में मिलता है।
16 वीं सदी में बने इस मंदिर के तहखानों को 2011 में खोला गया था। तहखानों में तकरीबन 90,000 करोड़ रुपये की कीमत का सोना, आभूषण व मूर्तियां आदि बरामत हुई थी। यह भारत के प्राचीन स्मारकों में से मिले किसी भी खजाने से बहुत ज्यादा था।
बता दें कि मंदिर के पुजारियों ने एक छठवें तहखाने को खोलने से मना कर दिया था। उनका दावा था कि इस तहखाने की निगरानी कोबरा सांप कर रहे हैं और इनके खुलने का परिणाम कोई भारी आपदा होगी। अब भगवान ही जाने इस आखिरी तहखाने में क्या छुपा हुआ है।
दुर्गा मां को समर्पित यह मंदिर कर्नाटक के उडुपी जिले के कोल्लूर में बना हुआ है। मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है। मंदिर प्रबंधन का दावा है कि मंदिर के एक बंद कक्ष में करोड़ों का सोना और हीरे आदि का खजाना छुपा हुआ है। यहां नाग का चिन्ह बना हुआ है, जो खजाना होने का संकेत देता है।
यजुर मंदिर आंध्रप्रदेश के पुट्टापर्थी में स्थित है। यह मंदिर सत्य साईं बाबा का निजी स्थान था। साल 2001 में बने इस मंदिर में बाबा के जीवित रहने तक कुछ वीवीआईपी लोगों को ही एंट्री मिलती थी। 2011 में बाबा की मृत्यु के बाद मंदिर की तलाशी के दौरान 11 करोड़ कैश के साथ ही 98 किलो सोने व 307 किलो चांदी के आभूषण मिले थे।
मध्यप्रदेश स्थित शिवपुरी जिले के रन्नौद में बने इस प्राचीन जैन मंदिर को शायद राज्य के अन्य जिलों के लोग भी नहीं जानते थे। लेकिन 2016 में यह जैन मंदिर देशभर में चर्चा का विषय बन गया। मंदिर की खुदाई के दौरान यहां बनी 14 फ़ीट मोटी दीवार में से सोने-चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा निकला था।
मजदूर तो इस प्राचीन खजाने को आपस में बांटकर मामला रफा-दफा करना चाहते थे। मगर उनके झगड़े की वजह से मामला पुलिस तक पहुंच ही गया। बताया जाता है कि यहां मुग़ल राज किया करते थे।
ये तो उन मंदिरों की कहानी है जहां से करोड़ों का खजाना निकल चुका है। लेकिन न जाने देश के किस प्राचीन मंदिर या स्मारक में कितना बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है। न जाने कब वो किसके हाथ लग जाए।
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