जेएनयू वाला कन्हैया जेल से बाहर आ चुका है और अब वह देश से आजादी नहीं बल्कि देश में आजादी मांग रहा है.
जातिवाद से आजादी, गरीबी से आजादी, धर्मवाद से आजादी और शायद ईश्वरवाद से भी आजादी.
लेकिन यह समझना मुश्किल है कि आखिर उनको कहाँ इन सब चीजों से समस्या हो रही हैं?
लेकिन सच बात यह है कि कन्हैया गन्दी राजनीति खेल रहे हैं. वह और उनकी विचारधारा इस देश से कोई प्यार नहीं कर रही है. सालों पहले तक बीफ पार्टी करने वाले ये लोग, कभी पोर्क पार्टी करने का दम नहीं रखते हैं. भारत के टुकड़े करने वाले कभी पाकिस्तान मुर्दाबाद नहीं करते हैं. बल्कि इनकी विचारधारा तो कहती है कि कश्मीर को भारत ने हथिया लिया है. सुभाष चन्द्र बोस को खुले आम इनकी विचारधारा गाली देती है.
अब कन्हैया के केस में साफ़-साफ़ दिख रहा है इस दो कौड़ी की विचारधारा को कहीं न कहीं कोई विदेशी या असामाजिक ताकत समर्थन दे रही है और वही इस देश का ध्यान विकास से हटाकर इन मुद्दों पर लगाना चाह रही है. ध्यान भटकने से हो सकता है देश में आतंकवाद आ सके, हो सकता है दंगे हो सकें लेकिन कन्हैया को बस आजादी चाहिए.
लेकिन आज कन्हैया से 5 सवाल पूछने का दम हम दिखा रहे हैं और यदि वाकई यह डिबेट करना चाहते हैं तो इन सवालों के जवाब वह जरूर दें-
1. तुम तब कहाँ थे जब कांग्रेस देश बेच रही थी
आज अचानक से कन्हैया को आजादी की याद आई है लेकिन कन्हैया तब कहीं नहीं दिख रहे थे जब कांग्रेस 2g और कामनवेल्थ जैसे घोटाले कर देश को बेचने निकली थी. तब शायद आप भी और आपकी यह विचारधारा भी कहीं घुमने निकल गयी थी. दिल्ली में तानाशाही चल रही थी और कभी अन्ना तो बाबा रामदेव पर लाठिया चल रही थी. ओह सॉरी लेकिन आप तो बाबा रामदेव को संघी बोलते हो तो हे कामरेड आपको मासूम जनता के लिए तो बोलना चाहिए था. तब आपकी क्रांति और लाल सलाम शायद सो रहा था.
2. लाल सलाम ने चीन की जीत के नारे लगाये थे और सुभाष जी को कुत्ता बोला था
बड़ी ऊँची-ऊँची आवाजों में आप आजादी-आजादी बोलते हो. लाल-लाल सलाम करते हो. अपने आप को इतना बड़ा बुद्धिजीवी समझते हो. तो जरा अपने लाल सलाम के इतिहास को पढ़ो उअर यह बताओ कि चीन की जीत के वक़्त आपकी विचारधारा दिवाली क्यों मना रही थी? साथ ही साथ सुभाष जी को ;तोजो का कुत्ता’ क्यों बोला गया था. साथ में यह भी बताओ कि आप इस समय इसके लिए इतना भौंक रहे हैं.
3. अच्छा आपके मुद्दे क्या हैं
इतना वक़्त हो गया है लेकिन अभी तक आपके मुद्दे समझ नहीं आये हैं. आप की आँखों के सामने देश को तोड़ने के नारे लगते हैं. कानून ने जिसे फांसी दी उसको आप शहीद बोलते हैं. तब आप देश भक्त होते या जरा भी देश प्रेम आपमें होता तो उसी वक़्त इस तरह के नारे लगाने वालों को रोक सकते थे. आप मोदी-मोदी करते रहते हैं लेकिन आपको लोकतंत्र में विश्वास होता तो आप यह ना भूलते कि जनता ने ही किसी को चुना है. बिना मुद्दों के आप सिर्फ देश का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं. आप जरुर किसी न किसी राजनीति का कारण हैं.
4. आप विश्विद्यालय में पढ़ने आये हैं या भारत तेरे टुकड़े करने
मुझे जब पता चला कि आप गरीब परिवार से हैं तो मुझे दुःख हुआ था. लकिन शायद आपको अपने माता-पिता से प्यार नहीं है. ना ही आप गरीबी और गरीब के लिए लड़ रहे हैं. आपको कोई समस्या थी तो सबसे पहले आप शांति पूर्वक बात करते. अपनी समस्या प्रधानमंत्री को बताते लेकिन आपने सीधे ही भारत के टुकड़े करने वालों का साथ दे दिया. फिर बोलते हो पुलिस सरकार की है. आप खुद चाहते थे कि यह सब हो और आप फेमस होकर, सरकार के खिलाफ खड़े हो जाओ. आप यहाँ पढ़ने नहीं आये थे बल्कि यह गन्दी और नफरत की राजनीति खेलने आये थे. खुद को क्रांतिकारी बोलकर, सच्ची क्रांति का अपमान ना करो आप.
5. आपको पता है इस सरकार में आदिवासियों के लिए काम हो रहा है
आपको पता होना चाहिए कि जितना काम आज तक 60 सालों वाली कांग्रेस नहीं कर सकी और लाल सलाम वाले नहीं कर सके वह यह मोदी करना चाहते हैं. आप गर उन आदिवासियों के लिए लड़ रहे होते तो सबसे पहले शांति पूर्वक देश के प्रधानमंत्री से बात करते. लेकिन आप और आपका लाल सलाम डर रहा है कि अगर वो आदिवासी पढ़ लिख लिए तो आपकी दूकान बंद हो जाएगी.
तो भाई कन्हैया जरा आप जल्द से जल्द इन 5 बातों का जवाब मुझे दें और अच्छा लगेगा कि आप साफ़ और सीधी भाषा में इन बातों का जवाब दें.
मैं कसम खा सकता हूँ कि मैंने संघ की कोई क्लास नहीं ली है और ना ही मैं संघी हूँ. मैं आम जनता तक आपकी बात पंहुचाना चाहता हूँ यदि आप पहले मुझे अपनी बात समझा दें.
अपनी क्रांति और लाल सलाम का मकसद समझा दें और यह समझा दें कि आपके पीछे कोई राजनैतिक पार्टी अपना मकसद पूरा नहीं कर रही है.
‘यह लेखक के निजी विचार हैं’
धन्यवाद
आपका मात्र चंद्रकांत