उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हेमवती नंदन बहुगुणा के बारे में कहा जाता है कि उनके राजनीतिक करियर पर सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने ग्रहण लगा दिया था।
जिसके बाद से उन्होंने राजनीति ही छोड़ दी।
ये बात 1984 की है तब अमिताभ बच्चन ने फिल्मों से ब्रेक लेकर राजनीति में अपना हाथ आजमाया था।
दरअसल बच्चन को राजनीति में लाने का श्रेय राजीव गाँधी को जाता है। उस समय राजीव गाँधी और अमिताभ बच्चन में घनिष्ठ मित्रता हुआ करती थी। राजीव गाँधी के कहने पर ही अमिताभ राजनीति में आये थे।
वहीं हेमवती नंदन बहुगुणा ने भी अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी। वे 1952 से लगातार उत्तरप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे है। जिसके बाद वे 1974 में उत्तरप्रदेश से कांग्रेस के मुख्यमंत्री भी रहे। लेकिन 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर दी और जगजीवन राम के साथ मिलकर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी पार्टी बनाई। उस चुनाव में इनकी पार्टी को 28 सीटें मिली जिसके बाद इस पार्टी ने जनता दल में अपना विलय कर लिया।
बाद में हेमवती नंदन बहुगुणा को देश का वित्त मंत्री बनाया गया।
लेकिन 1980 में जनता पार्टी में बिखराव होने के बाद में मध्यावधि चुनाव से ठीक पहले बहुगुणा कांग्रेस में दोबारा शामिल हो गए।
इस चुनाव में बहुगुणा गढ़वाल से जीते, लेकिन उनको केबिनेट में जगह नहीं मिलने से उन्होंने छ: महीने में ही कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता दोनों छोड़ दी। बाद में 1982 के उपचुनाव में इसी सीट से फिर से जीत दर्ज की। लेकिन 1984 का चुनाव शायद बहुगुणा के राजनैतिक करियर के लिए काल बनकर आया।
राजीव गाँधी ने अमिताभ बच्चन को बहुगुणा के खिलाफ खड़ा कर दिया।
उस समय बहुगुणा का राजनीतिक कद बहुत बड़ा था और अमिताभ बच्चन सिर्फ एक फ़िल्मी हीरो के अलावा कुछ नहीं थे।
इस चुनाव में कहा जा रहा था कि अमिताभ बच्चन हार जायेंगे। लेकिन हुआ उल्टा ही बच्चन ने बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार के रिकॉर्ड वोट से हराया। जिसके बाद बहुगुणा ने राजनीति से ही सन्यास ले लिया। लेकिन अमिताभ बच्चन भी इस सीट पर सफल नहीं रह सके और उन्होंने 3 साल बाद ही ये सीट छोड़ दी और पूरी तरह से राजनीति से सन्यास ले लिया।