हरीलाल गाँधी – महात्मा गांधी भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के महान नेताओं में शुमार है.
एक साधारण आदमी से महात्मा बनने की उनकी कहानी बड़ी ही प्रेरणादायक है. भारत की स्वतंत्रता में उनका अतुलनीय योगदान रहा है. आज भी लोग महात्मा गांधी बड़ी ही सिद्दत और सम्मान से याद करते है. उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी किसी को दुःख नहीं दिया लेकिन उनकी निज़ी जिंदगी में उन्हें अपने अपनों से ही बहुत दुःख मिला. गांधीजी के बड़े बेटे ही उनके दुःख का कारण बने.
आस्था और धर्म में अटूट विश्वास रखने वाले गांधीजी के ऊपर तब धर्म संकट आ गया जब उनके बड़े बेटे ने हिंदू धर्म को त्याग कर इस्लाम धर्म अपना लिया था.
उनके बेटे हरीलाल गाँधी के इस फैसले से गांधीजी को बहुत दुःख हुआ और उनकी पत्नी कस्तूरबा भी बेटे के इस फैसले से बहुत आहत हुई.
गांधीजी के इस बेटे हरीलाल गाँधी ने अपनाया था इस्लाम धर्म-
गांधीजी के सबसे बड़े बेटे हरीलाल गाँधी ने इस्लाम धर्म अपनाया था. हरीलाल का जन्म महात्मा गांधी के पहले पुत्र के रूप में 1888 में हुआ था. हरीलाल उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे और वकालत करना चाहते थे. लेकिन गांधीजी का मानना था विदेशी शिक्षा से भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध करना सही नहीं होगा लिहाजा उन्होंने हरीलाल को इंग्लैंड जाने से रोक दिया. इंग्लैंड नहीं जाने देने के विरोध स्वरुप हरीलाल ने 1911 में अपने गांधी परिवार से अपने सभी पारिवारिक रिश्ते तोड़ दिए. इसके बाद हरीलाल सतना चले गए और उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया.
हरीलाल गाँधी से बन गए अब्दुल्ला-
हरीलाल ने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम बदलकर अब्दुल्ला रख लिया. इस दौरान वे कई दिनों तक मध्यप्रदेश के सतना में ही रहे और वहीं पर भैसा खाना के नजदीक स्थित एक मस्जिद में रोजाना सुबह नमाज पढने जाया करते थे. वह मस्जिद आज भी वहां मौजूद है. वे करीब तीन महीनों तक यहाँ मैथलीशरण चौक में सेठ मौला बख्स की इमारत में ठहरे हुए थे.
लेकिन माता-पिता को था नामंजूर-
बड़े बेटे हरीलाल के इस्लाम धर्म कबूल करने से न केवल गांधीजी बल्कि उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी बेहद आहत थी. कस्तूरबा गांधी बेहद दुखी थी क्योंकि उनके बेटे हरीलाल के कारण उनके पति की छवि प्रभावित हो रही थी. कस्तूरबा गांधी ने हरीलाल को लिखे ख़त में भी अपना दुःख जाहिर किया था. उन्होंने ये भी चिंता जताई थी कि कहीं उनका बेटा इस्लाम धर्म कबूल करने के बाद मांसाहार का सेवन न करने लग गया हो.
हरीलाल गाँधी फिर वापस हिंदू हो गए-
हरीलाल के इस्लाम धर्म कबूल करने के कुछ समय पश्चात ही उन्होंने वापस हिन्दू धर्म अपना लिया था. लेकिन बापू की नाराजगी को वे बदल नहीं पाए. हरीलाल अपने आखिरी समय में बहुत ही बुरी हालत में थे वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में नशे में चूर होकर पहुंचे थे. अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक वे नशे में ही रहे. अंततः उनकी मृत्यु 18 जून 1948 को मुंबई में हो गई.
ये थे गांधीजी के बड़े बेटे हरीलाल गाँधी जिन्होंने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर इस्लाम धर्म अपनाया था हालाँकि बाद में उन्होंने वापस हिंदू धर्म अपना लिया था. हरीलाल गांधी की जिंदगी पर एक हिंदी फिल्म ‘गांधी माय फादर’ भी बन चुकी है.
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