सौरव चंडीदास गांगुली
नाम सुनते ही याद आते वो गगनभेदी छक्के, वो आक्रामक कप्तानी और दुनिया के एक बेहतरीन बाएं हाथ के बल्लेबाज़.
सौरव गांगुली न सिर्फ भारत के अपितु दुनिया के महानतम कप्तानों में से एक है. अगर ये कहा जाए कि सौरव का भारतीय क्रिकेट को बदलने में बहुत बड़ा योगदान रहा है तो ये कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
सौरव के आने से पहले भारतीय क्रिकेट में वो आक्रामकता नहीं थी जो अब है. पहले भारतीय टीम में जीत के लिए लड़ने का ज़ज्बा और विरोधी टीम को उन्ही के अंदाज़ में ज़वाब देने जैसी चीज़ें कभी कभी ही दिखाई देती थी.
सौरव ने युवा खिलाडियों की एक फौज तैयार की और हर कदम पर उनका साथ दिया.
युवराज़ सिंह, हरभजन, अजित अगरकर, मोहम्मद कैफ, वीरेंदर सहवाग और भी ना जाने कितने खिलाडियों ने गांगुली की कप्तानी में अपने खेल को सजाया संवारा.
सौरव को महाराजा और बंगाल टाइगर जैसे उपनामों से जाना जाता है. और सौरव वाकई में क्रिकेट के मैदान में ही नहीं असली जिन्दगी में भी टाइगर है.
आज सौरव गांगुली के 43 वें जन्मदिन पर हमारे चहेते कप्तान के जीवन की कुछ झलकियाँ. उनके जीवन की बेहतरीन पारियों के साथ.
यूँ तो सौरव ने बहुत से रिकॉर्ड बनाये और बहुत सारी उम्दा परियां खेल कर देश को जीत दिलाई. उन सभी पारियों में से कुछ चुनिन्दा छांटना मुश्किल काम है फिर भी सौरव के क्रिकेट कैरियर की सबसे बेहतरीन पांच पारियां बताते है.
141 नॉट आउट साऊथ अफ्रीका के विरुद्ध नैरोबी में, 13 अक्टूबर 2000.
ये ICC नाकआउट टूर्नामेंट का सेमीफाइनल था और सामने थी दक्षिण अफ्रीका के टीम. पहले खेलते हुए भारत ने 295 रन बनाये जिसमे सौरव ने 141 रनों की नाबाद पारी खेली. इस पारी को विजडन द्वारा दूसरी सर्वश्रेष्ठ पारी कहा गया है.
ये मैच भारत ने 95 रनों से जीता.
183 रन श्रीलंका के विरुद्ध टोंटन में, मई 26, 1999
विश्वकप का महत्वपूर्ण मैच, भारतीय टीम पिछले दो मैच दक्षिण अफ्रीका और ज़िम्बाब्वे से हार चुकी थी. ऐसे दबाव में श्रीलंका की मजबूत टीम के सामने थे सौरव गांगुली.
पहले ही ओवर में सदगोपन रमेश का विकेट खोने के बाद भी दबाव में ना आकर दादा ने आक्रमण किया श्रीलंका के गेंदबाजों पर, और 50 ओवर के बाद भारत का स्कोर था 373 रन. सौरव और द्रविड़ ने की रेकोर्ड़तोड़ 300 रनों की साझेदारी. गांगुली ने इस मैच में 183 रन बनाये.
ये मैच भारत ने 157 रनों से जीता
60 रन इंग्लैंड के विरुद्ध, लॉर्ड्स में, जुलाई 13 2003.
नेटवेस्ट श्रृंखला का फाइनल और इंग्लैंड ने खड़ा किया 325 रनों का विशाल स्कोर. ये मैच युवराज और कैफ की जुझारू मैच जिताऊ परियों के लिए जाना जाता है पर उस जीत की नींव रखी थी सौरव गांगुली ने 43 गेंदों पर तेज़ तर्रार 63 रन बनाकर.
कौन भूल सकता है सौरव की शर्ट उतारकर क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में भारत की जीत का परचम लहराते हुए.
भारत ये फाइनल एक विकेट से जीता था.
141 रन पाकिस्तान के विरुद्ध, एडिलेड में, जनवरी 25, 2000
कार्लटन एंड यूनाइटेड सीरीज और सामने थी भारत की चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान की टीम.
पहले विकेट के लिए सचिन के साथ 87 और उसके बाद द्रविड़ के साथ 88 रन की साझेदारी की पर दुसरे छोर से गिरते विकेट चिंता का विषय थे.
ऐसे समय में भी गांगुली ने धैर्य नहीं खोया और 141 रन की शानदार पारी खेली. इसी मैच में सौरव ने अपने 5000 रन भी पूरे किये.
भारत ने ये मैच 48 रनों से जीता.
82 विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया, मेलबोर्न, जनवरी 9 ,2004
ये VB सीरीज का पहला मैच था, ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 288 रन बनाये, भारतीय टीम ने भी बेहतरीन शुरुआत करते हुए पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी की.
उसके बाद शुरू हुआ विकेट का पतझड़. एक एक कर सभी बल्लेबाज़ आउट होते रहे पर सौरव एक छोर पर पूरी हिम्मत से खेलते रहे.
मैच के 49 वें ओवर में 83 गेंदों में 82 रन की साहसिक पारी खेल कर वो आउट हुए इस अफ़सोस के साथ की टीम को वो जीत के करीब पहुंचा कर भी जीता नहीं सके.
भारत ये मैच 18 रनों से हारा .
ये थी सौरव गांगुली प्रिंस ऑफ़ कोलकाता, और अपने फैंस और साथी खिलाडियों के बीच दादा के नाम से मशहूर सौरव की एक दिवसीय क्रिकेट में बेहतरीन पारियां.
अभी सौरव को BCCI के विशेष पैनल का सदस्य बनाया गया है जिसके अन्य सदस्य सचिन तेंदुलकर और लक्ष्मण है.
हम सबकी तरफ से दादा को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई.
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