खुश रहने का फॉर्म्युला – आइंस्टाइन एक ऐसा नाम है जिसे विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो ये कहलाने के काबिल ना है.
थ्योरी ऑफ स्पेशल रिलेटिविटी E=MC2. आइंस्टाइन ने ये सिद्धांत आज से एक सदी पहले 1905 में दिया था और तब से लेकर अब तक इसे कोई नहीं काट पाया. कोशिश तो कई वैज्ञानिकों ने की मगर सब हार गए. आइंटाइन ने ना केवल अपने आविष्कारों से हमें प्रेरित किया बल्कि अपनी थ्योरी के जरिए समय और दुनिया को देखने का हमारा नजरिया ही बदल दिया. अंतरिक्ष और टाइम ट्रेवल को समझने की काबिलियत दी.
खैर इन सब के परे आइंसटाइन ने एक ऐसा अनोखा खुश रहने का फॉर्म्युला भी दिया था जो लोगों की जिंदगी बदल सकता है. इस फॉर्मुला में हमारे आपके लिए बड़े ही काम की बात बताई गई थी. आइंसटाइन ने अपनी इस थ्योरी में खुश रहने का राज बताया था. छोटा सरल मगर बहुत काम का, दरअसल ये खुश रहने का फॉर्म्युला एक सुझाव है और इसके पीछे छुपी कहानी इसे भी मजेदार है.
1922 में लिखा गया था खुश रहने का फॉर्मुला
बात दरअसल तब की है जब आइंसटाइन जपान कीं राजधानी टोकियो के सबसे महेंगे होटल इंपीरियल में किसी काम के सिलसिले में रुकें थे. आइंसटाइन के पास एक पार्सल आया यह पार्सल लाने वाला व्यक्ति एक कोरियर वाला था, आइंसटाइन ने जब कोरियर वाले को पार्सल लाने के लिए टीप देने की कोशिश की तो कोरियर वाले ने लेने से इंकार कर दिया. वही दूसरी ओर कुछ लोगो का कहना है की कोरियर वाले ने आइंसटाइन से टीप मांगी लेकिन आइंसटाइन पर छुट्टे ना होने के कारण उन्होंने कोरियर वाले को एक चिट्ठी लिख कर दे दी, ये कोई आम चिट्ठी नहीं थी इस खत में लिखा गया था खुश रहने का फॉर्म्युला.
जर्मन भाषा में लिखे आइंसटाइन के शब्द थे –
कामयाबी के पीछे भागने से हमेशा बेचैनी हाथ लगती है. वही, शांत और सादगी से भरी जिंदगी ज्यादा ख़ुशियाँ देती है. साथ में कोरियर वाले को आइंसटाइन ने एक नोट दिया जिसमें उन्होंने लिखा “अगर तुम किस्मत वाले निकले, तो ये नोट किसी भी टीप से कहीं ज्यादा कीमती साबित होगा.”
वादे के पक्के निकले आइंसटाइन
मरने के बाद भी उस कोरियर वाले को मालामाल कर गए.
आइंसटाइन की लिखी वो बात अब जाके साबित हुई. करीबन 96 साल बाद लगाई गई उस नोट की बोली और नोट 10 करोड़ रुपए से भी ज्यादा में बिका. इस नोट की नीलामी उस कोरियर वाले के किसी रिश्तेदार ने लगाई थी. ये नीलामी इजरायल में हुई थी और इसे यूरोप के किसी शख्स ने खरीदा.
आइंसटाइन ने कितनी सादगी से खुशियों का फॉर्मुला बना डाला और उसे एक नोट पर लिख दिया. देखा जाए तो इस बात को हम सभी पहले से जानते आए हैं लेकिन हर बार इस पर अमल करना भूल जाते हैं. अब अगर हम इस फॉर्मुलो को शायद आइंसटाइन के नाम से याद रखने लगे तो हो सकता है हमारे जीवन में भी उसी कोरियर वाले के रिश्तेदार की तरह बदलाव आ जाए.
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