राजा ने महामाया की पूजा अर्चना करके कुंड में तलाश शुरू की तो उन्हें हनुमान के ठीक उसी स्वरुप जैसी मूर्ति मिली जिस स्वरुप में राजा को हनुमान ने स्वप्न में दर्शन दिए थे. मूर्ति मिलने के बाद राजा ने मंदिर में मूर्ति की स्थापना करवाई और नवनिर्मित कुंड में स्नान किया. स्नान करते ही राजा के सभी रोग और कष्ट दूर हो गए.
कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान का स्थान है और यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना हनुमान पूरी करते है.