सनातन धर्म किस तरह दुनिया के कोने कोने में फैला था इसके सुबूत समय समय पर मिलते रहते है.
विश्व की लगभग हर संस्कृति में कोई ना कोई कहानी या कोई ना कोई देवता हमारे सनातन धर्म में वर्णित कथाओं और देवताओं से मेल खता हुआ मिल ही जाता है.
दुनिया भर में मिले सनातन सभ्यता के सुबूतों के बारे में आपको समय समय पर बताया गया है.
पहले जर्मनी में मिली भगवान नृसिंह की 32000 वर्ष पुरानी प्रतिमा के बारे में बताया (जानने के लिए यहाँ पढ़े ). इसके बाद आपको वियतनाम में मिली 4000 वर्ष पुरानी विष्णु प्रतिमा और अन्य अवशेषों के बारे में बताया (पूरी जानकारी यहाँ ).
आज इसी कड़ी में हम आपको बताएँगे कि रामायण से जुड़े सुबूत हमारे देश से सात समन्दर पार सुदूर दक्षिणी अमेरिका में मिले है.
दक्षिण अमेरिका के एक छोटे से देश होंडुरास में एक गुफा है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये रामायण में वर्णित अहिरावण का स्थान है.
रामायण की कथा के अनुसार मायावी अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें धरती के नीचे अपनी पाताल नगरी ले गया था.
इस पाताल नगरी का द्वार भारत में बताया जाता है. पातालकोट नामक स्थान को इस गुफा का प्रवेश द्वार माना जाता है. पातालकोट नामक ये स्थान बहुत समय तक वर्तमान सभ्यता से कटा हुआ था. इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यहाँ जो गुफा है वो पाताल का द्वार है.
इस गुफा का निर्माण किसने और कब किया था ये कोई नहीं जानता है. कुछ लोग मानते है कि इस गुफा का अंत पचमढ़ी में है वहीँ कुछ लोगों का ये भी मानना है कि ये गुफा धरती में करीब 7000 किलोमीटर नीचे जाकर इस प्रिस्थ्वी के दुसरे कोने दक्षिणी अमेरिका में खुलती है.
इस मान्यता के सच होने का प्रमाण ये भी है कि मेक्सिको और होंडुरास भारत के ठीक नीचे आते है और यदि पातालकोट से सीधे 7000 किलोमीटर लम्बी सुरंग खोदी जाए तो वो दक्षिण अमेरिका में खुलेगी.
इस कहानी को और भी पुख्ता करते है दक्षिणी अमेरिका में मिलने वाले सनातन धर्म और रामायण से जुड़े सुबूत.
दक्षिण अमेरिका में एक स्थान को सिटी ऑफ़ मंकी गॉड अर्थात वानर देवता का शहर भी कहा जाता है.
इस स्थान कि खोज हाल ही में 2012 में हुई है.
यहाँ मिली हजारों वर्ष पुरानी मूर्तियाँ भी दर्शाती है कि दक्षिणी अमेरिका के लोग वानर जैसे दिखने वाले देवता कि पूजा किया करते थे.
दिखने में ये प्रतिमाएं बहुत हद तक हमारे भगवान हनुमान से मिलती है.
इस तरह कि खोजें यही साबित करती है कि चाहे रामायण हो या महाभारत आज के समय में इनकी कहानी में भले ही फेर बदल होता जा रहा है लेकिन कहीं न कहीं इन कहानियों के पीछे कुछ तो सच्चाई है.