हनुमान का जन्म – बंजरगबली, संकटमोचन ऐसे कई सम्बोधनों से हम भगवान हनुमान को पुकारते हैं, उनकी याचना करते हैं।
भगवान हनुमान महाशक्तिशाली थे और ऐसा माना जाता है कि वो आज भी पृथ्वी पर ही विद्यमान हैं। हनुमान जी रामायण का अहम हिस्सा थे और इन्हें शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। हनुमान जी के कई नाम हैं और उनके अलग-अलग नामों के अलग अर्थ हैं।
पवन देव का पुत्र होने के कारण उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है। हनुमान जी के जन्म के बारे में अनेक कहानियां और किवदन्तियां प्रचलित हैं। बाकी देवी देवताओं से उनकी शारीरिक रचना भिन्न है, उन्हें वानर देव के रूप में पूजा जाता है। उनकी शारीरिक संरचना एक वानर के समान थी। हनुमान जी की शारीरिक बनावट मुख और पूंछ से वानर समान नज़र आती थी, लेकिन उनकी बुद्धिमत्ता और शक्ति मानवों से कहीं ज्यादा थी।
ये सवाल आपके मन में भी कौंधता होगा कि आखिर हनुमान का जन्म वानर के रूप में क्यूं हुआ, वैसे आपको बता दूं कि इस सवाल के कई जवाब प्रचलित हैं।
इस बारे में जो कथा सबसे प्रचलित है उसके अनुसार एक बार शिव और पार्वती क्रीडा और धरती विचरण के उद्देश्य से धरती पर पधारे और वहां वो जंगल में विहार कर रहे थे, वो चाहते थे कि उनका कुछ अंश वानरों के रूप में स्थापित हो।
इसी दौरान मां पार्वती गर्भवती हो गईं। ईश्वर के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों का ध्यान रखते हुए भगवान शिव ने वायु देव से कहा कि वो गर्भ स्थानांतरण पद्धति का प्रयोग करते हुए गर्भ को मां अंजनि की कोख में स्थापित कर दें और इस प्रकार हनुमान का जन्म हुआ। अंजनि पुत्र की चाहत में उस वक्त भगवान शिव की आराधना कर रही थी।
इस बारे में एक और कहानी भी प्रचलित है वो ये कि राजा दशरथ ने जिस वक्त पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था और उस यज्ञ के दौरान प्रसाद के रूप में खीर का वितरण किया गया था, इस प्रसाद का कुछ अंश वायु देव ने अंजना मां तक पहुंचा दिया था जिसके फलस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ था।
अंजना, भगवान शिव की लंबे वक्त के आऱाधना कर रही थी, पुत्र प्राप्ति की कामना लिए अंजना की इच्छा को हनुमान के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई. इसलिए हनुमान को अंजनेय के नाम से भी जाना जाता है। वैसे इसके अलावा हनुमान जी के और भी कई नाम हैं।
हनुमान जी के इन नामों का जाप करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। भगवान हनुमान महावीर भी हैं और हर युग में अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं।
हनुमान चालीसा में भी ये बात वर्णित है कि ”संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमरे हनुमत बलवीरा. जी हां यह अटल सत्य है. भूत पिसाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे” ,ये बात पूरी तरह से सत्य है।
कहा जाता है कि कलियुग में एकमात्र हनुमान जी ही बचे हैं जो धरती पर मनुष्य की मनोकामनाओं को पल में पूरा कर देते हैं।
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