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जाने हनुमान बेनीवाल की पुरी कहानी, वो नेता जिसे पुलिस तक गिरफ्तार नहीं कर पाई

राजस्थान की पॉलीटिक्स को हिला देने वाले हनुमान बेनीवाल ने अपनी पार्टी बनाने का फैसला किया है.

इसमें उनका साथ दे रहे हैं भाजपा से अलग होकर घनश्याम तिवारी. इस पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी रखा गया है और इसका चिन्ह होगा बोतल.

बेनीवाल और तिवारी दोनो ने मिलकर राजस्थान में तीसरा मोर्चा बनाने का फैसला किया है, तो आइए जानते हैं ऐसा करने वाले मासटरमाइंड हनुमान तिवारी की पुरी कहानी-

हनुमान तिवारी ने अपने गांव की एक बैठक में सुना था की भारत देश को बचाने के पीछे महात्मा गांधी का हाथ था. स्कूल की किताबो में बेनीवाल को गांधी जी के बारे में पढ़ना बहुत अच्छा लगता था लेकिन एक बुढे आदमी के मुह से सुनी वो बात की “गांधी ने उन्हे बचाया” को समझने में उन्हे एक उम्र लग गई.

बेनीवाल का जन्म 2 मार्च 1972 को राजस्थान के नागौर गांव में हुआ था.बेनीवाल अब तक एक छात्रनेता थे लेकिन अब उन्होने अपनी खुद की सरकार बनाने का फैसला किया है. इससे पहले वह राजस्थान जयपुर यूनिवर्सिटी के प्रेजिडेंट थे.

बेनीवाल के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में हुई थी. यह वो समय था जब राजस्थान में अपराध बडता ही चला जा रहा था. हनुमान बेनीवाल की खुद की युनिवर्सिटी में एक छात्रा के साथ 9 छात्रो ने होस्टल के कमरे में बलात्कार किया था. इस से कुछ समय पहले एक लड़की पर तेजाब फेकने की भी वारदात हुई थी. इन सभी अपराधो के चलते 100 से भी अधिक छात्रा ने जयपुर महाराजा कॉलेज के आगे धरना देने पहुंच गए.

इन सभी के बीच लालकोठी थाने में 3 छात्रो के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई जिसमें हनुमान बेनीवाल का भी नाम था. अभी तक जयपुर युनिवर्सिटि में प्रेसिडेंट के लिए चुनाव नहीं हुए थे और इससे हनुमान बेनिवाल की छवि पर काफी असर पडाऔर वह छात्रो के बीच और भी लोकप्रिय हो गए. वह आगे चले के वह छात्रो द्वारा जयपुर युनिवर्सिटी के प्रेजिडेंट चुने गए.

इसके बाद काफी समय तक छात्रनेता बने रहने के बाद हनुमान बेनीवाल ने साल २००२ में लोकसभा चुनाव लडेजिनमे 2 लाख लोगो ने समर्थन दिया. साल २०१३ से २०१८ के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बेनीवाल ने राजस्थान के किसानो व मजदूरो के हीतो के लिए कई बार आवाज उठाई, यहाँ तक की उनका मोर्चा भी किसानो के लिए था “चश्मे का निशान होगा, अगला मुख्यमंत्री किसान होगा”. इस मोर्चे ने कई नौजवाकिसानो को राजनीति में आने का हौसला दिया. यह हनुमान बेनीवाल की छवि के लिए एक बहुत अच्छा समय साबित हुआ. किसानो और मजदूरो से उन्हे काफी समर्थन भी मिला.

अब हनुमान बेनीवाल घनश्याम तिवारी के साथ मिलकर अपनी खुद की पार्टी बना चुके हैं जिसकी घोषणा उन्होने अपनी हाल ही में हुई रैली में की थी. हनुमान बेनीवाल से जब पूछा गया की क्या उनकी पार्टी चुनाव जीत पाएगी तो उन्होने जवाब में कहा की हम ५० सीट आसानी से निकाल लेंगे. आपको बता दे की राजस्थान विधानसभा में किल २०० सीट हैं. अब देखना ये होगा की क्या वाक्य हनुमान बेनीवाल आने वाले समय में राजस्थान के मुख्यमंत्री बन पाते हैं या नहीं. अगर ऐसा हुआ तो वह राजस्थान के पहले जाट मुख्यमंत्री होंगे. आपको बता दे की राजस्थान में जाट जनसंख्या सबसे अधिक है.

Shivam Rohatgi

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