कार्थेंज के प्रसिद्ध सेना नायक हन्नीबल के बारें में अधिक जानकारी इन्टरनेट पर नहीं है.
भारत के बाहर भी विश्व में एक से एक योद्धा हुए हैं और इनके बारें में हमको जरुर पढ़ना चाहिए.
सेना नायक हन्नीबल इतिहास का एक ऐसा योद्धा रहा है, जिसने अपने आत्मबल और मन की शक्ति के आधार पर हाथियों से भी पहाड़ पार करा दिए थे. ऐसा आज तक विश्व के इतिहास में कभी नहीं हुआ था कि जब हाथियों ने पहाड़ पार करके दिखाए हों.
लेकिन कहते थे कि हन्नीबल की आवाज में वह दम था कि हाथियों के अन्दर गजब की शक्ति आ जाती थी.
तो आज यंगिस्थान आपको विश्व के इसी शक्तिशाली योद्धा सेना नायक हन्नीबल हन्नीबल की गाथा बताने वाला है.
इस योद्धा की कहानी से आप खुद भी वाकिफ हों और अपने बच्चों को भी कराएँ, क्योकि हन्नीबल जैसा साहस और शौर्य आपको और कहीं नजर नहीं आएगा-
सेना नायक हन्नीबल का पहले इतिहास पढ़ लो –
हन्नीबल का जन्म 247 बी.सी के अन्दर नार्थ अफ्रीका में बताया जाता है. गुरिल्ला युद्ध के लिए विश्व में इससे अधिक प्रसिद्ध कोई योद्धा नहीं रहा है. यह अपनी छोटी की कथेजीनियन सेना का जनरल था. यह बात उस समय की है जब रोम की विशाल सेनाएं आसपास के देशों पर हमलाकर लुटपाट किया करती थीं. रोम की सेना लाखों में हुआ करती थी और जिस तरफ यह सेना रुख करती थी वहां से सबकुछ लूट लिया जाता था.
सेना नायक हन्नीबल इसलिए रोम से करता था नफरत –
हन्नीबल रोम और उसकी सेना से काफी नफरत करता था.
हन्नीबल के पिता 40 साल से सेना के सिपाही के रूप में रोम से लड़ रहे थे और यही एक मुख्य वजह थी कि इसके पिता ने हन्नीबल को शुरुआत से ही रोम की सेना के अत्याचारों से वाकिफ कराया था. हन्नीबल बचपन से ही रोम की सेना को धूल में मिलाने का सपना देखा करता था.
रोम को हराने का प्लान बनाया था हन्नीबल ने –
हन्नीबल जब अपनी कथेजीनियन सेना का मुख्य सेनापति बना था तब उसकी उम्र बस 26 साल थी.
इस योद्धा ने रोम को हराने का प्लान बचपन में ही बना लिया था. सेना नायक हन्नीबल जानता था कि रोम का समुद्र की सीमा पर पूरा कब्जा है. हम यदि समुद्र के रास्ते से जाते हैं तो हमको समुद्र में घेरकर मार दिया जायेगा. तब हन्नीबल ने गुरिल्ला युद्ध की नीति बनाई. अपने सेना में उसने कुछ 40 से अधिक हाथियों को जोड़ा था. साथ ही साथ रोम पर हमला करने के लिए कुछ 30-40 हजार से अधिक सैनिकों को खास तैयार किया था.
लेकिन युद्ध के समय मुख्य समस्या यह थी कि जिस तरफ से हन्नीबल हमला करना चाह रहा था वहां से बड़े ऊँचे पहाड़ इनकी सेना को पार करने थे. लेकिन यह पहाड़ हाथियों के वश में पार करने नहीं थे. सभी जानते थे कि हाथी पहाड़ पार नहीं कर सकते हैं. किन्तु हन्नीबल की जीत भी इसी रास्ते पर निर्भर करती थी. रोम का ध्यान पहाड़ों की तरफ नहीं था क्योकि इधर से कोई आ ही नहीं सकता था.
तब सेना नायक हन्नीबल ने आवाज के दम पर हाथियों से कराए पहाड़ पार –
कहते हैं कि तब हन्नीबल ने सेना को पहाड़ पार कराने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी. इसकी आवाज में एक अनोखा दम आ गया था. शक्तिशाली योद्धा की आवाज हाथी भी समझने लगे थे और देखते ही देखते इसने हाथियों से पहाड़ पा करा लिए थे. लेकिन पहाड़ पार करने में इसके कुछ 10 हजार साथी मारे गये थे. अब इसके पास बस 37 और कुछ कुछ 25 हजार साथी थे और रोम की सेना कुछ 70 हजार थी.
फिर से हन्नीबल ने सबको हैरान कर दिया था –
हन्नीबल ने फिर से एक बार सबको हैरान तब किया था जब उसने अपने सैनिकों को हाथियों के पीछे रहने को बोला था. यह जानता था कि जमीन मिलते ही उसके पहाड़ी हाथी इधर-उधर भागना शुरू कर देंगे और हाथी ही रोम की सेना को मार देंगे. जब युद्ध शुरू हुआ तो कुछ ऐसा ही हुआ. रोम के आधे से ज्यादा सैनिक तो हन्नीबल के हाथियों के पैरों तले दबकर मर गये थे.
तो इस प्रकार से सेना नायक हन्नीबल ने इस अनोखे और हैरान कर देने वाले युद्ध को जन्म दिया था.
सेना नायक हन्नीबल जैसे योद्धा के बारें में जितनी जानकारी होनी चाहिए, उतनी जानकारी नहीं है. इसकी सेना और युद्ध समय के बारें में भी विवाद हैं. किन्तु यह तो सत्य है कि हन्नीबल ने अपने युद्ध में हाथियों से भी पहाड़ पार करा लिए थे और ऐसा किसी युद्ध में पहली बार हुआ था.
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