हल्दीघाटी – इतिहास में कई युद्ध लड़े गए हैं जिनकी मिसालें आज भी दी जाती हैं।
आज हम आपको एक ऐतिहासिक युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें महान योद्धा अकबर को भी जीत के लाले पड़े गए थे। अकबर को अपने शासनकाल का महान योद्धा माना जाता है लेकिन उनके जीवनकाल में एक युद्ध ऐसा भी आया था जब उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थीं।
हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में तो आपने सुना ही होगा। ये युद्ध साल 1576 में मुगल बादशाह अकबर और राजपूतों की शान महाराणा प्रताप के बीच हुआ था। इस ऐतिहासिक युद्ध में हज़ारों सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मुगल बादशाह अकबर को लग रहा था कि ये युद्ध भी और युद्धों की तरह आसानी से जीत लेंगें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अकबर ने महाराणा प्रताप के साहस को अभी जाना ही नहीं था। महराणा प्रताप खुद तो वीर योद्धा थे ही साथ ही उनकी सेना में भी हज़ारों साहसी सैनिक शामिल थे। युद्ध को आसानी से जीत लेने की अकबर की गलतफहमी बहुत जल्द ही दूर हो गई थी।
महाराणा प्रताप की सेना में सिर्फ 20000 सैनिक थे जबकि बादशाह अकबर के पास लगभग 85000 सैनिकों का बल था। इस युद्ध में सैनिकों की संख्या में बहुत बड़ा फर्क था और शायद इसी वजह से बादशाह अकबर को लग रहा था कि वो आसानी से युद्ध को जीत जाएंगें। बादशाह अकबर इस युद्ध को जल्दी खत्म करना चाहते थे लेकिन इस युद्ध में ना तो बादशाह अकबर को जीत मिल सकी और ना ही वो महाराणा प्रताप को हरा सके।
महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथाएं तो पूरे संसार में फैली हुई हैं। उनके बारे में हमें कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। वह खुद अकेले 208 किलो वजन लेकर युद्ध लड़ा करते थे, इसमें उनका एक भाला और तलवार शामिल थी। उनके अकेले कवच का वजन ही 72 किलो था।
युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप के बहुत सारे सैनिक युद्ध में मारे जा चुके थे लेकिन उन्होंने तब भी हार नहीं मानी। उस समय बादशाह अकबर ने 6 बार सहमति से युद्ध समाप्त करने का प्रस्ताव भिजवाया था लेकिन हर बार महाराणा प्रताप यह कह कर संदेश वापिस भेज दिया करते थे वह राजपूत हैं और यह राजपूत सेना और दुश्मन का प्रस्ताव स्वीकार करना उनके नियमों के खिलाफ है। अब जो भी युद्ध का परिणाम होगा देखा जाएगा।
तब बादशाह अकबर ने लगभग 6 बार महाराणा प्रताप के पास सहमति करके युद्ध समाप्त करने का संदेश भेजा और हर बार महाराणा प्रताप ने यह कहकर संदेश को वापस भिजवा दिया कि वह राजपूत है और यह राजपूत सेना की और उनके नियमों के खिलाफ है अब जो होगा देखा जाएगा।
इस हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम के बारे में कोई नहीं जानता है। जब युद्ध में महाराणा प्रताप बहुत ज्यादा घायल हो गए थे तब उनका घोड़ा चेतक उन्हें वहां से अपनी पीठ पर बैठाकर अपने साथ कहीं ले गया था। इस तरह अकबर के भी करीब 25000 सैनिक शहीद हो चुके थे। अकबर ने इस युद्ध को निर्णायक साबित नहीं बताया और ना ही उन्होंने अपनी जीत का जश्न मनाया क्योंकि एक तरह से अकबर ये युद्ध हार चुके थे और मात्र 20000 सैनिकों से साथ लड़ने वाले महाराणा प्रताप हार कर भी जीत गए थे।
यह वो हल्दीघाटी की घटना थी जब बादशाह अकबर को भी जमीन पर घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।