हज का इतिहास – हर मुस्लमान के लिए हज यात्रा बहुत अहम मानी गई है, इस्लाम के मुताबिक हर मुस्लमान को ज़िंदगी में एक बार हज ज़रूर करना चाहिए.
तभी तो हर साल सऊदी अरब के मक्का में दुनियाभर के लाखों मुस्लमान हज के लिए पहुंचते हैं. जिस तरह हिंदूओं के लिए तीर्थ यात्रा ज़रूरी है, वैसे ही मुस्लिमों के लिए हज. चलिए आपको बताते हैं हज जुड़ी कुछ खास बातें.
हर साल की तरह इस साल भी भारत समित दुनिया भर से करीब 20 लाख से ज्यादा मुस्लिम हज यात्रा के लिए सऊदी अरब के मक्का पहुंचेंगे.
हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने के 8वें दिन से 13वें दिन के बीच किया जाता है.
हज का इतिहास
हज का इतिहास -चार हज़ार साल पहले मक्का का मैदान पूरी तरह से विरान था. मुसलमानों का मानना है कि पैग़ंबर अब्राहम ने अपनी पत्नी हाजिरा और बेटे इस्माइल को फ़लस्तीन से अरब लाने का निर्देश दिया ताकि उनकी पहली पत्नी सारा की ईर्ष्या से उन्हें बचाया जा सके. अल्लाह ने पैग़ंबर अब्राहम से उन्हें अपनी किस्मत पर छोड़ देने के लिए कहा. उन्हें खाने की कुछ चीज़ें और थोड़ा पानी दिया गया. कुछ दिनों में ही ये सामान ख़त्म हो गया. हाजिरा और इस्माइल भूख और प्यास से बेहाल हो गए. मायूस हाजिरा सफ़ा और मारवा पहाड़ी से मदद की चाहत में नीचे उतरीं. भूख और थकान से टूट चुकी हाजिरा गिर गईं और उन्होंने संकट से मुक्ति के लिए अल्लाह से गुहार लगाई. इस्माइल ने ज़मीन पर पैर पटका तो धरती के भीतर से पानी का एक सोता फूट पड़ा और दोनों की जान बच गई.
हाजिरा ने पानी को सुरक्षित किया और खाने के सामान के बदले पानी का व्यापार भी शुरू कर दिया. जब पैग़ंबर अब्राहम फ़लस्तीन से लौटे तो उन्होंने देखा कि उनका परिवार एक अच्छा जीवन जी रहा है और वो पूरी तरह से हैरान रह गए. पैगंबर अब्राहम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने को कहा. अब्राहम और इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा-सा घनाकार निर्माण किया. इसे काबा कहा जाता है.
अल्लाह के प्रति अपने भरोसे को मज़बूत करने ही हर साल यहां मुसलमान आते हैं. सदियों बाद मक्का एक फलता-फूलता शहर बन गया और इसकी एकमात्र वजह पानी के बेहतरीन स्रोत का मिलना था. धीरे-धीरे लोगों ने यहां अलग-अलग ईश्वर की पूजा शुरू कर दी.
पैगंबर अब्राहम का पाक स्थान मूर्तियों को रखने का ठिकाना बन गया. सालों बाद अल्लाह ने पैग़ंबर मोहम्मद को कहा कि वो काबा को पहले जैसी स्थिति में लाएं और वहां केवल अल्लाह की ज़ियारत होने दें.
628 साल में पैग़ंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की.
यह इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैग़ंबर अब्राहम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया. इस तरह हज यात्रा शुरु हई.
हाजी मक्का जाकर क्या करते हैं?
हाजी यहां एहरम वस्त्र में आते हैं. यानी बिना सिलाई वाले सफेद कपड़े पहनते हैं. उनका सिर ढका होता है और महिलाएं भी किसी तरह का मेकअप और इत्र इस्तेमाल नहीं करतीं.ऐसा मुसलमानों में समानता के लिए किया जाता है ताकि यहां अमीरी और ग़रीबी का एहसास ना हो. हज की शुरुआत मक्का से होती है. कई लोग मक्का से पहले मदीना पहुंचते हैं जहां पैग़ंबर मोहम्मद की मज़ार है और यहीं पर उन्होंने पहली मस्जिद बनाई थी.
हज का इतिहास – हज का मकसद होता है तन, मन और आत्मा की शुद्धी करना. वैसे तो हर तीर्थयात्रा का यही उद्देशय होता है, मगर वाकई लोग ऐसा कर पाते हैं या नहीं पता नहीं?