हादिया और शफीन – अक्सर एक स्थिति को समझने के बाद मनुष्य भविष्य के लिए सतर्क हो जाता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भविष्य में होने वाली उस जैसी हर घटना को वही स्थिति समझा जाए ।
भारत में लव जिहाद पिछले कुछ सालों में एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है । लव जिहाद की व्याख्या करने वाले के अनुसार लव जिहाद मतलब किसी किसी मुस्लिम लड़के का हिंदु लड़की शादी कर धर्म परिवर्तन कराना है ।
कई रिपोर्टस और खबरों में दावा भी किया गया कि हिंदुओं के साथ शादी करने वाले ये लड़के इन लड़कियों का धर्म परिवर्तन कर इन्हें बेच दे देते है । हो सकता है कुछ लोग लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर देह व्यापार करते हो लेकिन इसके लिए किसी समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता ।
ये भी जरुरी नहीं कि हर मुस्लिम लड़के और हिंदु लड़की की शादी को लव जिहाद का नाम दिया जाए । शायद यही बात हमारी न्याय प्रणाणी भी भली भांति समझती है । इसलिए केरल के लव जिहाद के जाल में फंसे हादिया और उनके पति शफीन के प्यार को अदालत ने मान्यता दे दी है । यानी कि सुप्रीम कोर्ट ने हादिया और शफीन का विवाह को सही ठहराते हुए हादिया को अपने पति के साथ रहने की इजाजत दे दी है । लेकिन सवाल अब ये उठता है कि क्या समाज इस रिश्ते को अपनाएगा । क्या हादिया की मश्किलें पूरी तरह खत्म हो चुकी है ।
शायद नहीं लेकिन इतना जरुर है कि हादिया को शफीन का साथ जरुर मिल चुका है ।
हादिया जन्म से एक हिंदू लड़की है जिसका हिंदू नाम अखिला अशोकन था । कॉलेज के दिनों में इस्लाम अपनाया और फिर शफिन के साथ निकाह कर लिया । हादिया के माता पिता ने आरोप लगाया था कि हादिया का धर्म परिवर्तन और शफीन से विवाह हिंदू विरोधी लोगों की साजिश है जिन्होने उनकी लड़की का माइंड वॉश किया है। हादिया के परिवार की इस दलील के बाद केरल की निचली अदालत ने हादिया और शफीन की शादी को खारिज कर दिया था । जिसके बाद हादिया ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की ।
हाई कोर्ट ने हादिया की शादी को लव जिहाद कहकर खारिज कर दिया था ।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए हादिया से जाने की कोशिश की कहीं सच में उनसे जबरन धर्म परिवर्तन तो नहीं कराया गया । इस केस की सुनवाई मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की तीन जजों वाली बेंच किया । कोर्ट के सवाल पर हादिया ने बताया कि उन्होनें अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला है । वहीं हादिया ने अपने परिवार पर उसे अवैध तरीके से हिरासत में रखने का आरोप भी लगाया । आपको बता दें पिछले साल नवंबर में अदालत ने हादिया को उनके पिता से छुड़ाया था ।
हादिया का जिम्मा उसके कॉलेज की प्रिंसिपल को सौंपा था । साथ ही आगे पढ़ाई जारी रखने की अनुमति भी दी थी ।
लेकिन देर से यही सही हादिया और शफीन जिस इंसाफ और आजादी की उम्मीद कर रहे थे वो आखिरकार उन्हें मिल ही गई । हादिया का केस उदाहरण है कि इतने बदलावों के बाद भी भारत में समुदायों के बीच रुढ़वादी सोच कही न कही आज भी जिंदा है । और ऐसा नहीं कि लव जिहाद नहीं होता होगा । लेकिन समाज को ये जरुर समझना चाहिए कि एक जबरन धर्म परिवर्तन और मर्जी से किया गए धर्म परिवर्तन में अंतर होता है । दोनों स्थितियों को एक तरह से नहीं देखा जा सकता ।
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