एचआईवी एड्स का जन्म – ऐसे तो दुनिया में जानलेवा बीमारियों की कमी नहीं है.
एक से एक जानलेवा बीमारियां हैं जो इंसान कि जिंदगी को कष्टमय बना देती है और एक तड़पती हुई मौत देती है.
लेकिन सबसे घातक बीमारी की अगर बात करें तो उसे एचआईवी एड्स कहा जा सकता है. इस लाइलाज बीमारी का अब तक कोई भी वैज्ञानिक इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं. इतना तो हर कोई भली भांति जानता है कि जिसे भी ये बीमारी लग गई उसका जिंदा बच पाना मुश्किल हो जाता है. विश्वभर की ये एकलौती बीमारी है जो इंसान का जान लेने के बाद ही उसका पीछा छोड़ती है.
लोगों के मन में इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने की खातिर साल 1988 से हीं वर्ल्ड एड्स दिवस मनाया जाने लगा.
दोस्तों एड्स के बारे में तो आप सब कुछ जानते होंगे कि ये कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या होते हैं और पीड़ित इंसान को किस तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है इत्यादि. लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि पूरे विश्व में सबसे पहले एड्स किसे हुआ और कब हुआ ? अगर आपके पास इस सवाल का जवाब नहीं है तो हम आपको बताते हैं कि एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का जन्मदाता कौन है और कब हुआ एचआईवी एड्स का जन्म.
आप इस बात को जानकर हैरान हो जाएंगे कि पूरे विश्व में सबसे पहले एड्स किसी मनुष्य को नहीं बल्कि एक चिंपांजी को हुआ था. जानकारी के मुताबिक साल 1908 की बात है जब एक चिंपांजी जोकि घायल हो चुका था उसने शिकारी पर हमला कर दिया और उसे काट लिया था. जिसकी वजह से उस इंसान को कई खरोचें भी आई थी.
इस कारण चिंपांजी का खून उस शिकारी के अंदर भी आ गया और उसके खून से मिल गया. जिसके बाद चिंपांजी कि ये बीमारी इंफेक्शन के रूप में उस शिकारी को भी लग गई. ऐसे हुआ एचआईवी एड्स का जन्म.
दरअसल वो इंसान एक शिकारी था और कैमरून के जंगलों में शिकार के लिए गया था और उस चिंपांजी का पीछा करने लगा जिसके बाद चिंपांजी ने उस पर हमला कर उसे घायल कर दिया. चिंपांजी को एड्स था और उसका खून जब शिकारी के खून से मिला तो इंफेक्शन के रूप में चिंपांजी का एड्स उस शिकारी तक फैल गया.
एड्स को लेकर एक और कहानी काफी प्रचलित है. इसके अनुसार साल 1980 में एक फ्लाइट अटेंडेंट के ऊपर इस बीमारी को जानबूझकर फैलाने के आरोप लगते हैं. रिसर्च के अनुसार Gaetan Dugas नाम का ये व्यक्ति कैनेडियन फ्लाइट अटेंडेंट था. और इसने जानबूझकर नाजायज संबंध बनाए थे ताकि वो अमेरिका के लोगों को नुकसान पहुंचा सके.
कहते हैं कि वो व्यक्ति अमेरिका से इतनी नफरत करता था कि हरपल अमेरिका को नीचा दिखाने की खातिर वो कुछ भी करने को तैयार रहता था. और अपने इसी मकसद को पूरा करने की खातिर उसने एड्स जैसी बीमारी को फैलाने की सोची और नाजायज संबंध बनाने शुरू कर दिए.
इसके बाद से इस व्यक्ति को ‘पेशेंट जीरो’ नाम से जाना जाने लगा. गौरतलब है कि सबसे पहले एड्स की बीमारी को नोटिस करने वाले डॉक्टर्स सैन फ्रांसिस्को के थे. इसके बाद सिर्फ अमेरिका में 10 सालों में 7000 से अधिक लोगों को इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया.
इतना तो आप जानते होंगे कि एड्स फैलने की वजह नाजायज संबंध होते हैं. और अगर किसी महिला को एड्स है तो उसके होने वाले बच्चे को भी ये बीमारी निश्चित रूप से होगी. इसके अलावा अगर किसी ऐसे व्यक्ति को इंजेक्शन दिया गया हो जिसे ऐड्स है और उसी इंजेक्शन से किसी और व्यक्ति को अगर इंजेक्शन दिया जाए तो उसे भी एड्स हो जाता है.
इस तरह से हुआ एचआईवी एड्स का जन्म – लेकिन कई लोगों के मन में ये गलत धारणा बनी हुई है कि जिस व्यक्ति को एड्स है उसे छूने से या उसके साथ खाने-पीने से, उसके साथ उठने-बैठने से भी ये बीमारी फैलती है तो ये पूरी तरह से गलत है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता. ऐड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ उठने-बैठने, खाने-पीने या फिर उसे छूने से नहीं फैलती है.
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