नौकरी व्यापार या नेतागिरी सबसे चोखा फायदा किसमें है ?
पढ़ लिख कर डॉक्टर, इंजिनियर या फिर कलेक्टर बननें में? या फिर नेता या अभिनेता बनने में ?
या फिर दादागिरी में?
इन सब में बहुत पैसा है, इस बात में कोई दो राय नहीं पर ये सब माने के लिए या तो बहुत पढने की ज़रूरत है या फिर बहुत मेहनत करने की या फिर पैसा लगाने की.
एक धंधा ऐसा है जिसमें न डिग्री की ज़रूरत ना मेहनत की और ना ही पैसे की. मतलब ऐसा धंधा जिसमे हल्दी लगे न फिटकरी और रंग भी आये चोखा.
ये धंधा है बाबागिरी का, मतलब धर्म का व्यापार.
ऐसा धंधा जिसके लिए आपको कोई काबिलियत या न कोई शैक्षिक योग्यता और न ही किसी और चीज़ की ज़रूरत पड़ती है. जरुरत होती है तो अंधी श्रद्धा की और लोगों को मूर्ख बनाने की कला की.
संत, महात्मा, गुरुओं के बारे में शायद बचपन से पढ़ते आ रहे है और देखते भी आ रहे है. वो सब एक ही बात सीखते है कि सही रास्ते पर चलो, अपनी ज़रूरतें कम रखो, लालच मत करो, किसी का बुरा मत करो.
पहले के ज़माने में शायद बाबा, गुरु, मौलवी, फादर की इन सब बातों पर यकीन भी होता था, क्योंकि वो इन सब बातों को सिर्फ बोलते ही नहीं अपने जीवन में उतारते भी थे.
लेकिन आज तो इन बाबा लोगों का जीवन देकर बड़े से बड़ा व्यापारी भी जल जाए. ऐसा ऐश्वर्य, इतनी संपत्ति और इतना मुनाफा.
चलिए गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आपको मिलाते है भारत के सबसे अमीर धर्मगुरुओं से जो आपके खून पसीने की कमाई से दिन पर दिन और भी अमीर होते जा रहे है.
बाबा रामदेव
आज से 20 साल पहले बाबा रामदेव ने योग सिखाना शुरू किया. 2003 में आस्था चैनल में रामदेव के योग का प्रसारण शुरू हुआ. उसके बाद से बाबा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
दिन दोगुनी और रात चौगुनी वृद्धि हुयी योग के व्यापार में. पतंजलि योगपीठ, तकरीबन हर शहर में दूकान, चैनल और भक्तों में बड़े बड़े नेता और अभिनेता.
देखा है किसी और का ऐसा जलवा वो भी 20 साल के मामूली वक्त में. आज के समय रामदेव की कुल सम्पति हजारों करोड़ में है. मोटे अनुमान के तौर पर 2014 में इनकी कुल संपत्ति 1200 करोड़ थी.
पूरे विश्व में आज रामदेव का नाम है और उनकी बदौलत ही विश्व योग दिवस की पहल हुयी. आज रामदेव का दखल ना सिर्फ धर और योग के क्षेत्र में है अपितु रामदेव राजनीति में भी अच्छा खासा दखल रखते है.
रवि शंकर
आर्ट ऑफ़ लिविंग के भारत में पुरोधा श्री श्री रवि शंकर.
1981 में इन्होने आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना की.
आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में आर्ट ऑफ़ लिविंग का नाम है. आर्ट ऑफ़ लिविंग में सुदर्शन क्रिया सिखाई जाती है. इनके भी आज करोड़ों भक्त है. समाजसेवा और राजनीति में भी इनका दखल रहता है.
जहाँ रामदेव बाबा आम लोगों में ज्यादा प्रसिद्ध है वहीँ रविशंकर को अभिजात्य वर्ग में ज्यादा पूजा जाता है.
आज इनकी संपत्ति 184 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. रविशंकर का दर्शन कुछ कुछ ब्रिटिश संगीत समूह बीटल्स के गायक और गीतकार जॉन लेनन से काफी मिलता है. आज दुनिया के 152 देशों में आर्ट ऑफ़ लिविंग सेंटर है.
आसाराम बापू
अनगिनत विवादों में फंसे रहने के बाद भी आसाराम की ना सम्पति कम होती है न ही उनके भक्तों की संख्या.
ऐसा जलवा है हत्या, बलात्कार के मामले में बंद बापू का. 1970 में पहला आश्रम खुलने के बाद आज के समय में छोटे बड़े 400 आश्रम है. आसाराम और उनके बेटे पर समय समय पर तरह तरह के केस दर्ज हुए हैं.
अभी भी दोनों हत्या और बलात्कार के मामले में जेल में बंद है. आसाराम के अनुयायी इसे उनके खिलाफ साजिश मानते है.
सम्पति और भक्तों के मामले में आसाराम किसी से पीछे नहीं है. अरबों की संपत्ति के मालिक है और एक बार कहते ही बड़े बड़े धन्ना सेठ अपनी ज़मीन इनको आश्रम के नाम पर दान दे देते है.
माँ अमृतानंदमयी
अपने भक्तों में माँ या अम्मा के नाम से प्रसिद्ध. इनके अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है.
अब जिनके भक्तों की संख्या करोड़ों में हो तो उनकी संपत्ति अरबों में तो होगी ही न. सूत्रों के अनुसार उनकी संपत्ति 273 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा है.
माँ के बहुत से अस्पताल और समाजसेवी संस्थान भी चलते है. ये अपने भक्तों को सुखी जीवन के सूत्र बताती है. अब ये तो पता नहीं कितनो का जीवन सुखमय हुआ है या नहीं.
बाबा गुरमीत राम रहीम इंसान
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख और छोरा बब्बर शेर के नाम से प्रसिद्द. गुरमीत राम रहीम ने 1990 में पहला सत्संग किया था और उसके बाद ही संत का दर्जा हासिल कर लिया था.
राजस्थान के गंगानगर में बाबा राम रहीम का मुख्य आश्रम है. इनके अनुयायियों में अधिकतर दलित और छोटी जातियों के लोग है.
राम रहीम अपनी विशेष अदा के लिए प्रसिद्ध है.
इन्हें अगर रॉक स्टार बाबा कहा जाए तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. 1990 में शुरू हुआ इनका सफ़र आज 250 आश्रमों के बाद भी फलत फूलता जा रहा है.
राम रहीम ने अभी MSG नाम की एक फिल्म बनायीं. जिसके निर्देशन से लेकर अभिनय संगीत गीत सब कुछ का जिम्मा खुद ने संभाला था. बाबा के भक्तों ने इस फिल्म को हाथों हाथ लिया. बाबा समाज सुधर के अनोखे तरीकों के लिए भी जाने जाते है.
तो देखा आपने कैसे धर्म के नाम पर और समाज को नयी राह दिखने के नाम पर क ये सब धर्मगुरु इतने कम समय में धर्म के धंधे से अकूत धन संपत्ति के मालिक बन गए.
आज तक समझ नहीं आया कि इन संतों और गुरुओं को इतनी धन संपत्ति की ज़रूरत क्यों पड़ती है. अब ये बात या तो ये जाने या ऊपरवाला. लेकिन एक बात तो तय है
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