सेवा में सबसे आगे
सेवाभाव में भी सिक्खों का कोई सानी नहीं है. गुरूद्वारे जाने पर एक असीम शांति मिलती है. वहां जगह जगह मंदिर या मस्जिद के जैसे चढ़ावा चढ़ाने के डब्बे नहीं रखे जाते है.
गुरूद्वारे में अमीर हो या गरेब सब एक जैसे होते है.
बड़े से बड़े करोडपति भी आपको गुरूद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जुटे चप्पल सँभालते हुए या फिर साफ़ सफाई या भोजन का कार्य देखते हुए मिल जायेंगे. कोई भेदभाव नहीं सब एक औंकार की संतान. गुरूद्वारे में लगने वाले लंगर में हर रोज़ कितने ही गरीब लोगों का पेट भरता है.