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बारहवीं के एक छात्र ने किया ऐसा अविष्कार – अमेरिका जाकर लेगा पुरस्कार !

गुरसिमरन सिंह

स्कूल के एक छात्र ने दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया है जो ना सिर्फ उन्हें पढ़ने में मददगार होगा बल्कि इस सड़क पर चलने के समय आस-पास की आवाजों ध्वनि में बदल कर किसी भी चीज की तस्वीर उनके दिमाग में बना डालेगा.

16 साल की छोटी सी उम्र में गुरसिमरन सिंह ने ‘आइसक्राइब’ नाम के चश्मे का उपकरण बनाने का काम किया है.

इस उपकरण की सहायता से दृष्टिहीन व्यक्ति अगर कोई चीज पढ़ना चाहेगा तो उस व्यक्ति को ये चश्मा ऑडियो के रूप में उस चीज को सुना देगा. नीति आयोग ने इस उपकरण के लिए अनुदान भी दिया है. अब 12वीं कक्षा में पढ़ने वाला गुरसिमरन सिंह ‘प्रुडेंशियल एक्सप्रेस ऑफ कम्युनिटी अवार्ड ग्लोबल सेरेमनी’ के लिए अमेरिका जा रहा है.

सिंह का कहना है कि ‘मैंने जिस चश्मे जैसे उपकरण का आविष्कार किया है उसका नाम ‘आइसक्राइब’ है.

ये उन व्यक्तियों को पढ़ने में या फिर चलने फिरने में मदद करेगा जो दृष्टिहीन हैं.

सिंह ने ये भी कहा कि उपकरण में एक कैमरा और माइक्रो प्रोसेसर लगाया गया है जो बटन दबाने पर लिखे हुए शब्दों की तस्वीर खींच लेता है और उसके अंदर लगा हुआ प्रोसेसर शब्दों को ऑडियो में बदलकर सुना देता है. ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन तकनीक के द्वारा काम करता है. मतलब कि आप जिस चीज को पढ़ना चाहेंगे वो ऑडियो के रूप में आपको सुना देगा. इस आविष्कार के लिए गुरसिमरन सिंह को हाल ही में ‘सातवां वार्षिक प्रामेरिका स्पिरिट ऑफ कम्युनिटी अवार्ड’ मिला जिसमें उन्हें 50,000 दिया गया.

गुरसिमरन सिंह ने ये भी कहा कि इस ऑप्टिकल की खासियत एक और ये भी है कि आस-पास की सभी आवाजों को एक ध्वनी में बदलकर सुनाता है, जिससे दृष्टिहीन व्यक्ति अपने मस्तिष्क में इस चीज की तस्वीर बना पाए.

सिंह ने बताया कि नीति आयोग के अटल नवोन्मेष मिशन के अंतर्गत अटल टिंकरिंग लैब के तहत 5 साल में इस उपकरण को और अधिक उन्नत बनाने की खातिर 20 लाख रुपए अनुदान दिए गए हैं.

इसे बनाने के लिए सिंह में इंटरनेट की सहायता ली है.

सिंह के घर के पास में दृष्टिहीनों का एक स्कूल है जहां उन्होंने इसका सैंपल साइज लिया और इस बात का पता लगाने के लिए कि ये कितना बड़ा होना चाहिए और उसकी गोलाई कितनी होनी चाहिए, स्कूल के  150 बच्चों पर उन्होंने परीक्षण किया.

सिंह ने बताया कि पहले उन्होंने एक पेन बनाने की सोची थी जो शब्दों को डिजिटाइज कर सके. लेकिन फिर बाद में उन्हें चश्मा बनाने का विचार आया और उन्होंने इसपर काम करने की शुरुआत भी कर दी और उसे विकसित भी कर लिया.

बता दें कि अगले महीने 5 मई को सिंह अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में सामुदायिक सेवा पर केंद्रित ‘प्रूडेंशियल स्पिरिट ऑफ कम्यूनिटी अवार्ड ग्लोबल सेरेमनी’ में हिस्सा लेने वाले हैं. सिंह वहां पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. वाशिंगटन में होने वाले इस कार्यक्रम में 20 दूसरे देशों के लोग भी हिस्सा लेंगे.

सिंह ने ये भी कहा कि आगे अब वो एक ऐसे उपकरण बनाने पर काम कर रहे हैं, जो ऐसे लोगों के लिए मददगार होगा जो बोल नहीं पाते हैं. इस उपकरण के जरिए वो लिपसिंग को ऑडियो में बदलने की तकनीक पर काम कर रहे हैं.

सिंह के पिता का नाम प्रितपाल सिंह है, वो दक्षिण दिल्ली नगर निगम में कार्यरत हैं.

अपने बेटे की कामयाबी से वो बेहद खुश हैं और हर तरह से मदद के लिए तैयार हैं. बेटे के हर काम के लिए उन्हें प्रेरणा देते हैं. हम भी गुरसिमरन सिंह के लिए दुआ करते हैं कि इसी तरह वो अपने हर कार्य में सफलता हासिल करते रहें, जिससे कि जरूरतमंदों को मदद मिल सके.

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