गुजरात के हादसे – गुजरात से लगातार हो रहे हिन्दी भाषी लोगों के पलायन की खबरों ने पूरे देश को झंझोर कर रख दिया है।
दरअसल बीते दिनों उत्तर गुजरात के एक कस्बे में 14 माह की बच्ची के साथ रेप की खबर में एक प्रवासी मजदूर पर इल्ज़ाम लगा था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके बाद गुजरात के स्थानीय लोगों में प्रवासी मजदूरों के खिलाफ आक्रोश भर गया और उन्होंने पूरे गुजरात से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार के लोगों को बाहर करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं इसके लिए अब पूरे गुजरात में जगह-जगह दंगे फसाद भी होने लगे हैं।
गुजरात में हो रहा ये दंगा कोई पहला दंगा नहीं हैं बल्कि इससे पहले भी गुजरात में हुए दंगों की कुछ एसी कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं जो आपकों झंझोर कर रख देगी, लेकिन हां ये कहना गलत नहीं होगा कि हर बार इन कहानियों, इन घटनाओं के तार कहीं ना कहीं राजनीति से जरूर जुड़े होते थे।
गुजरात के हादसे – हर बार हादसों के बाद नेता पक्ष और विपक्ष उसका समाधान ढूंढ़ने से ज्यादा उस पर राजनीति करना ज्यादा अहम् समझते थे।
गुजरात के हादसे –
१ – 1985 के गुजरात दंगे-
3 अप्रैल 1985 को एक मुस्लमान को किसी ने चाकू मार दिया, इसके बाद अफवाह फैली कि उसकी मौत के पीछे हिन्दुओं का हाथ था। इसका बाद गुजरात में फैला हिन्दु-मुस्लिम दंगा। दोनों ओर के लोग सड़कों पर उतर गए और एक दूसरे के समुदाये के लोगों पर जमकर हमले बाजी करने लगे। ये दो समुदाये के बीच की जंग काफी लम्बें समय तक चली और इसमें दोनों समुदायों के काफी लोगों की जान-माल की हानि भी हुई।
२ – 1990 में हुआ दंगा
गुजरात की राजनीति में ये बात बेहद अजीब रही है कि जब-जब चुनावी दौर शुरू हुआ गुजरात में दंगा जरूर हुआ। साल 1990 में एक बार फिर दो गुटों के बीच हिन्दू मुस्लिम दंगा हुआ, जिसमें कई घरों के चिराग बुझ गए। ये दो धर्मों के बीच लगातार चल रही दंगों की आग आगे के वर्षो में भी जारी रही।
३ – 1992 में हुआ प्रवासी दंगा
गुजरात व्यपार का गढ़ माना जाता है, यहां प्रवासी मजदूरों को रहने की पूर्ण रूप से आज़ादी दी जाती है, क्योकि इन मजदूरों को गुजरात में व्यापार की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। लेकिन फिर भी इससे पहले भी गुजरात में साल 1992 में भी मजदूरों के बीच निजी स्वार्थ के लिए दंगे कराये जा चुके है, लेकिन उस दौरान हुई हिंसा की निरर्थकता प्रवासी मजदूरों को जल्द समझ आ गई और समाप्त भी हो गई। जिसके बाद एक बार फिर से प्रवासी मजदूरों को गुजरात के लोगों ने स्वीकरना शुरू कर दिया।
४ – साल 2002 गोधरा कांड
साल 2002 में 27 फरवरी को गोधरा में ट्रेन में आग लगाई गई और इसके बाद इस अग्नि कांड में मारे गए और घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना में मरे लोगों के शवों की अब तक पहचान भी नहीं हुई थी जब 28 फरवरी 2002 को पूरा गुजरात दंगों की आग में झुलसने लगा था। इन दंगों के दौरान मुख्य तौर मुस्लमानों को निशाना बनाया गया था, हालांकि इन दंगों पर गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश में काफी लम्बें समय तक वोट की राजनीति खेली गई। इस दंगे के दौरान करीब 1044 लोग मारे गए थे, जिसमें 790 मुस्लमान और 254 हिन्दू थे।
५ – गुजरात में दो समुदायों के बीच दंगा 2017
गुजरात के पाटन जिले के एक गांव में दो समुदाय के लोगों के बीच अचानक हिंसा शुरू हो गई। दरअसल ये दंगा 10वीं की परिक्षा देने गए दो बच्चों को बीच हुआ, जिसमें बात कुछ इस कदर बिगड़ गई कि दूसरे समुदाय के लोग पहले समुदाय के लोगों के घर हथियारों से लैस पहुंचे और वहां करीब 90 घरों में आग लगा दी। इसके अलावा वहां खड़े कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
६ – गुजरात चुनाव 2017 के दौरान हुए दंगे
चुनावी माहौल हो और गुजरात में दंगा ना हो ऐसा हरगिज नहीं होता, यही कारण रहा कि गुजरात चुनाव 2018 से पहले पटेल राजनीति के नाम पर कहीं धरने हुए, तो कही व्यापार बंदी। ये हंगामा काफी दिनों तक चला, जिसमें विपक्ष के तीन सत्ता लोभियों ने गुजरात की शांति को भंग किया।
७ – 14 माह की बच्ची से रेप के बाद गुजरात से प्रवासियों का पलायन
14 माह के बच्ची के साथ बलात्कार के जुर्म में एक प्रवासी मजदूर को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से आये सभी प्रवासी मजदूरों को गुजरात से बाहर करने का फरमान जारी कर दिया।
ये है गुजरात के हादसे – इस मामले की आग अब तक गुजरात को जला रही है, जिसके बाद से वहां के सभी प्रवासी मजदूर गुजरात से पलायन करने को मजबूर है।
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