प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 व 1000 के नोट जिस तरह से बंद किये हैं उसको लेकर अब जगह-जगह विरोध भी किया जा रहा है.
मोदी का तर्क है कि इस तरह करेंसी रोकने से काले धन पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. जिनको लोगों के पास काला धन है वह अब पूरी तरह से कागज के टुकड़े हो जायेंगे. दूसरी तरफ विशेषज्ञ यह भी बोल रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्य से देशकी अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी.
कांग्रेस सड़क पर आकर मोदी के नोट मुहीम का विरोध कर रही है तो वहीँ कभी बीजेपी के थिंक टैंक और आज के चाणक्य के. एन. गोविन्दाचार्य ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मोदी के नोट प्लान पर संदेह जारी किया है. गोविन्दाचार्य ने मोदी से पूछा है कि आपने जो फैसला लिया है उसका प्रभाव जनता पर अधिक पड़ा है और आपको इतनी जल्दी में यह प्लान क्यों जारी करना पड़ा है इसका जवाब श्वेत पत्र जारी कर देश को दें.
आइये पहले आपको के. एन. गोविन्दाचार्य द्वाराजारी प्रेस विज्ञप्तिपढ़वाते हैं जो उन्होंने हाल ही में जारी की गयीहै-
प्रेस विज्ञप्ति – 13/11/2016
500 और 1000 के नोटों को निरस्त करने के कारणों को स्पष्ट करने और उसके लाभ बताने के लिए श्वेत पत्र जारी करे केंद्र सरकार
– के. एन. गोविन्दाचार्य
8 नवंबर को शाम 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी जी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को निरस्त करने की घोषणा करने से देश में आया भूचाल अभी थमा नहीं है. सरकार द्वारा भारी मात्रा में जारी 500 और 1000 रुपये के नोट रद्द हो जाने से अधिकांश आम जनता परेशानी में आ गयी है. बैंकों की शाखाओं और एटीएम के बाहर लगी लंबी कतारें और देश भर से आ रहीं अफवाहें इसका प्रमाण हैं. सरकार के तुग़लकी फैसले से काले धन को कमाने वाले राजनेताओं-नौकरशाहों, टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों और अवैध धंधे वाले माफियाओं पर क्या असर पड़ेगा, या रसूख के कारण वे बच जाएंगे, यह तो भविष्य ही बता पायेगा, पर मोदीजी के झटके से आम जनता हलाल हो रही है.
लोगों को रोज की जीवनोपयोगी वस्तुओं खरीदने में कठनाई हो रही है, चिकित्सा और यातायात जैसी आवश्यक सुविधाओं में परेशानी हो रही है.
आम जनता इन सब परेशानियों को सह भी लेगी जब वह इस अचानक हुए निर्णय के पीछे के कारणों को जानेगी तथा उस निर्णय से भविष्य में होने वाले लाभों से भी परिचित होगी.
अतः सरकार एक श्वेत पत्र जारी करके आम जनता को बताये कि उसने इतना कठोर निर्णय अचानक क्यों लिया ?
देश में कितने नकली नोट हैं ?
500 और 1000 रूपये के नोटों से नगदी के रूप में कितना काला धन बना हुआ है?
इन पुराने नोटों को छापने में सरकार ने आम जनता का कितना धन व्यय किया था ?
इन नोटों को वापस लेने और नए नोटों को छाप कर उन्हें बदलने में आम जनता का कितना धन सरकार व्यय करने वाली है ?
आजादी के बाद देश में अब तक कितना काला धन बनने का अनुमान सरकार लगाती है ?
काले धन किस-किस रूप में कितना – कितना विद्यमान है ?
500 और 1000 रूपये के नोटों को रद्द करके 500 , 1000 और 2000 के नए नोटों को छापने के पीछे क्या तुक है ?
ये कुछ प्रश्न हैं जो इस देश के सभी नागरिकों के दिमाग को मथ रहें हैं. लोकतंत्र में राज्य को जनता के प्रति उत्तरदायी माना जाता है, उसे सरकार से जानने का पूरा अधिकार रहता है. जनता में फैले संभ्रम और अफवाहों को दूर करने के लिए उपरोक्त सभी प्रश्नों और अन्य सम्बंधित प्रश्नों के तथ्यपरक जानकारी देते हुए सरकार शीघ्र एक श्वेतपत्र जारी करके अपना कर्त्तव्य निभाए.
– के. एन. गोविन्दाचार्य
तो क्या मोदी की दाल में गोविन्दाचार्य को नजर आया काला रंग?
जिसतरह से के. एन. गोविन्दाचार्य ने यहाँ सवाल उठायें हैं उनको देखकर तो यही लगता है कि के. एन. गोविन्दाचार्य को इस दाल में कुछ ना कुछ काला तो जरुर नजर आया है. इन्होनें पूछा है कि 500 व 1000 नोट के रूप में देश के अन्दर कितना काला धन जमा है. वैसे के. एन. गोविन्दाचार्य के करीबी सूत्र बता रहे हैं कि सरकार ने 2000 का नोट जिस तरह से जारी किया है उस पर थिंक टैंक सरकार का विरोध करने की सोच रहे हैं. बड़े नोट बंद करने ही थे तो पूरी तरह से बंद कर दिए जाते किन्तु यहाँ तो 1000 से भी बड़ा नोट जारी कर दिया गया है. अब जब 500 व 1000 के नोट बंद कर दिए थे तो इनको फिर से नये रूप में क्यों छापा जा रहा है.
इस विरोध के बाद सरकार के कई मंत्री सतर्क हो गये हैं क्योकि इनको लगने लगा है कि के. एन. गोविन्दाचार्य के बाद निश्चित रूप से अन्य पार्टियाँ भी इन्हीं सवालों को उठायेंगी.
सूत्रोंकी मानें तो पीएम ऑफिस में भी इन सवालों के जवाब देने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है.
अबआने वाला समय ही हमको बतायेगा कि क्या मोदी सरकार इस पूरे विवाद से खुद को बचा पायेगी या फिर जनता के सामने वह माफ़ी मांगती नजर आएगी.
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