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सरकार कोई भी हो हर साल उसी बात के लिए कोसती है जनता

चुनाव के वक़्त सभी राजनैतिक दल भिखारी से लेकर आम जनता के सामने वोट बटोरने के लिए हाथ जोड़ते है.

धुल, मिटटी और गंदगी से इन नेताओं को एलर्जी होती है, किंतु चुनाव के वक़्त गंदी बस्ती के नंगे बच्चो को इस तरह उठाएंगे मानो इनका कोई रिश्तेदार हो.

प्रचार भी ऐसे करेंगे जैसे मानो सभी अन्य दल भष्टाचार में डूबे है और खुद यह जनता के हितकारी है.

सत्ता में आने पर बड़ी बड़ी बातों का गुबार करने में माहिर ये राजनैतिक दल जनत को बेवकूफ बनाती रहती है.

ऐसे में सत्ता किसी की भी हो, जनता का उनको कोसना लाजमी है. चुनाव के समय पांच साल के लिए एक बार हाथ जोड़ते, पैर पड़ते तो नजर आ जाते है परन्तु जनता आने वाले पाँच साल तक  उन सफ़ेद पोश नेताओ के दर्शन तक नहीं कर पाती है.

सरकार को कब कोसती है जनता ?

1.  बारिश में जब ठप होता है शहर

आम शहरों में गली मोहल्ले में जब बरसात का पानी गड्डो से भर जाता है, तब जनता कहती है सरकार को तो केवल बाते करनी आती है. मुंबई में भारी बारिश के वक़्त यातायात थम जाती है, सड़को से लेकर रेल्वे ट्रैक तक तलाब बनना हर साल का वाकिया हो गया है. सत्ता में आए स्वच्छता अभियान चलने वाली सरकार को यह दिखाई नहीं दिया की सड़को पर जो पानी भरा है वो केवल बारिश का नहीं है, गंदे नालो और स्वछालयों से भी आता है. लोग इन गंदे पानी को पार करते हुए अपने मुकाम पर पहुचने की कोशिश करते है.

मगर एसी करों में घूमने वाले नेताओं को ये सारी बाते बड़ी साधारण लगती है.

आखिर उनके पैर कहा कीचड़ में जाते है?

2.  बाढ़ के चलते जानमाल का नुकसान

बारिश में बाढ़ आना यह तो साधारण सी बात है.

लेकिन बाढ़ के चलते जानमाल का नुकसान होना हर साल की कहानी है, फिर भी सरकार इसके लिए कोई कारगर कदम क्यू नहीं उठाती है? जहा बाढ़ आती है वहा के लोगों को पहले से ही सुरक्षित जगहों पर क्यों नहीं ले जाया जाता है? हमेशा स्थिति विकट होने के बाद ही बचाव कार्य और मदद के हाथ आगे क्यों आते है? जो काम पहले करना चाहिए वो काम मासूम जनता की जान जाने के बाद सरकार करती है.

उदाहरण के लिए आप आसाम में बह रही ब्रह्मपुत्र हमेशा ही बारिश में रावन रूप ले लेती है और इसमें कई लोगों की जान हर साल जाती है.

3.  जहरीली शराब से मौत

शराब हानिकारक है उपर से जहरीली शराब कहर ढाह रही है.

ताज़ा खबर बतादू की मुंबई के मालवणी इलाके में जहरीली शराब पीने से हुई मौत का आंकड़ा 100 से ज्यादा हो गया है. कई लोग अभी भी हस्पताल में अपने नए जीवन के लिए मौत से दो दो हाथ कर रहे है. पुरे देश में हर साल जहरीली शराब से लाखों मौते होती है. बावजूद इसके सरकार और अधिकारियो को केवल अपनी तीजोरी भरने से मतलब है.

4.  प्याज़ और अन्य सब्जी का मंहगा होना

सभी को पता है की जैसे ही बारीश का मौसम आता है सब्जिया मंहगी हो जाती है.

सरकार कोई उपाय नहीं करती और जनता को हमेशा के लिए यह सब सहना पड़ता है. माना की बारीश का मौसम है सब्जिया मंहगी होती है. किंतु कुछ सब्जियों के भाव आसमान छूने लगते है और वह सोना चांदी खरीदने जैसे लगते है. ऐसे में सरकार पहले से ही कोई उपाय योजना क्यों नहीं करती.

जो सब्जिया स्टोर करके ऐसे वक़्त सामान्य दरों में बेची जा सकती है. उसे लेकर भी इतनी लापरवाह क्यों होती है.

5. ठंड से मौते

उत्तर भारत में ठंड का कहर इस कदर पड़ता है कि हर साल कई मौते हो जाती है. बावजूद इसके सभी उत्तर भारत के राज्य इस होड़ में लगे होते है कि किसका मौत का आंकड़ा हमसे बड़ा है.  ताकि उसकी भी राजनीति कर पाए.

ऐसी कई बाते है जो हर साल होनी ही है.

क्योंकि अब तक की कोई भी सरकार इन समस्याओं को जड़ से ख़तम करने का कोई उपाय नहीं निकाला है. सरकार को जनता की मूलभूत जरूरतों पर ध्यान देना आवश्यक है. जब की सत्ता धारियों को यह समझ नहीं आता है की कोई भी सकारात्मक परिवर्तन नीचे से ऊपर की तरफ होता है.

यही एक बड़ी वजह है जो जनता सरकार को कई सालों से कोसती आई है.

और अब तक यह सिलसिला बरकरार है.

Neelam Burde

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Neelam Burde

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