“यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर, तेरा साथ ना छोड़ेंगे!”
शोले फिल्म का ये गाना आज भी सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन सिर्फ सुनने में, असलियत से इसका आजकल कोई लेना-देना नहीं है!
हँसी-खेल में, मस्तीबाज़ी में हम दोस्तों को यह गाना डेडिकेट भी कर देते हैं, गाके भी सुनाते हैं लेकिन सच यही है कि दिल से इसे महसूस नहीं करते!
और चलो मान लिया कि हम एहसास करते हैं पर क्या ऐसे मित्र हैं हमारे जो ऐसा ही महसूस करें?
यार दोस्ती के मायने आजकल बदल रहे हैं|
एक वक़्त था जब मित्र, मित्र के लिए जान हाज़िर कर देता था, हर मुसीबत में साथ देता था और दोस्तियाँ पूरी ज़िन्दगी की होती थीं| बचपन से बुढ़ापे तक कुछ ख़ास मित्र हमेशा ही रहते थे और उन्हीं के साथ लड़ते भी थे, खेलते भी थे!
पर आजकल सब कुछ फ़ास्ट फ़ूड जैसा है! जल्दी से दोस्ती, जल्दी से दुश्मनी! छोटी-छोटी बातों पर भयंकर युद्ध हो जाते हैं और सबको लगता है कि पहले सामने वाला दोस्ती निभा के दिखाए, फिर हम दोस्ती निभाएँगे!
इसका सबसे आसान और सामने नज़र आने वाला उदाहरण है फ़ेसबुक की दोस्ती!
फट से दोस्ती हो जाती है, ढेरों कमेंट और लाइक्स शेयर होते हैं और फिर किसी दिन कमेंट या लाइक नहीं किया तो बहस शुरू और फिर देखते ही देखते वो दो-चार दिन की घनिष्ट मित्रता पर ताला लग जाता है! जब तक तो आप मस्ती कर रहे हैं, सब आपसे दोस्ती करते हैं, लेकिन अगर आप काम में मसरूफ़ हो गए या कोई और परेशानी आ गयी तो बस, आपको ऐसे भुला दिया जाता है जैसे दोस्ती थी ही नहीं!
अब सलमान-शाहरुख़ की दोस्ती ले लो!
देखने से ही लगता है कि दिखावे की है! किसका कौन सा मतलब निकल रहा है ऐसी दोस्ती से पता नहीं चलता लेकिन आज लड़ते हैं, कल फिर से मित्र हो जाते हैं और फिर इंतज़ार होता है कि ज्वालामुखी फिर कब फटेगा! दोस्ती के दिनों में एक दूसरे की फ़िल्मों को प्रोमोट भी करते हैं लेकिन दुश्मनी के दिनों में यादाश्त कमज़ोर हो जाती की ऐसा कोई मित्र भी था!
तो यारों, दोस्त ऐसे बनाओ जो ज़िन्दगी भर साथ दें और उसके लिए ज़रूरी है कि पहले आप ऐसे मित्र बनें!
हाँ ये ज़रूरी नहीं है कि हर कोई आपकी जैसी दोस्ती निभाएगा लेकिन बिना दो क़दम आगे बढ़े आप भी तो दोस्ती का इम्तिहान नहीं ले पाएँगे!
उम्मीद है शोले का ये गाना आप दिल से गा पाएँ अपने ऐसे दोस्तों के लिए जिनके लिए इस गाने के वही मायने हों जो आपके लिए हैं!