कुमाऊँ में अलमोड़ा से आगे चितई में गोलू देवता के मंदिर में अनगिनत अरजियाँ आम लोगों द्वारा दायर की जाती हैं। यहाँ घंटिया चढ़ाई जाती हैं और इंसाफ की भीख माँगी जाती है।
लोकमानस का विश्वास है कि गोलू देवता ऐसे राजा रहे जो अपने घोड़े पर सवार हो कर आम लोगों के दुःख दूर करने के लिए दूरतम गाँव तक जाते हैं ।
यह मंदिर अलमोड़ा से लगभग तीस किलोमीटर दूर मुखय सड़क पर है। गोलू देवता के साथ देवी माँ की पूजा की जाती है।
पहले यहाँ बलि भी की जाती थी। अब नारियल और चुनरी से पूजा की जाती है। फरियादी अपनी बात लिख कर घंटी और मौली के साथ पूजा कर टांक देते हैं।
गोलू देवता जरूर न्याय करते हैं। यहाँ टंगे हज़ारों खत इसका सबूत हैं। इंसाफ मिल जाने पर भक्त अपनी हैसियत के अनुसार और बड़ा घंटा चढ़ाते हैं। यहाँ अनगिनत घंटे दिखाई देते हैं और घंटों की गूंज दूर दूर तक सुनाई देती है।
कुमाऊँ के लोगों के साथ ही यहाँ देश विदेश से लोग आते हैं।
यहाँ पहुंचने के लिए देहली या देहरादून से काठगोदाम तक रेलगाड़ी से या पंतनगर तक हवाई जहाज से पहुंच सकते हैं। वहाँ से आसानी से टैक्सी से ठीक मंदिर के दवार तक पहुंच सकते हैं। अलमोड़ा में ठहरने के लिए सरकारी या गैर सरकारी होटल की सुविधाजनक इंतज़ाम हैं ।
यहाँ का सुहावना मौसम और पहाड़ी नजारा मनमोहक है।
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