गोल्डन ब्लड – दुनिया में कई अरबों मनुष्य हैं लेकिन सभी में ब्लड ग्रुप या तो A पॉजीटिव / नेगेटिव होता है या B पॉजीटिव/नेगेटिव होता है और O पॉजीटिव/नेगेटिव होता है.
हर व्यक्ति का ब्लड ग्रुप इन्हीं तीन में से कोई एक ग्रुप से होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक ऐसा भी ब्लड ग्रुप है जो कि बहुत ही रेयर है, यहां तक कि इतना ज्यादा रेयर की यह दुनिया में केवल 43 लोग के पास है. विज्ञान की दुनिया में इसे “Rh-null” के नाम से जाना जाता है. जबकि कई लोग इसे रिसस नेगेटिव कहते हैं और इतने रेयर होने के कारण इसे गोल्डन ब्लड और एलियन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है.
किस इंसान का कौन सा ब्लड ग्रुप है इसका पता हमें उसके बॉडी में एंटीजन के काउंट से चलता है. इंसान के शरीर में जितनी कम एंटीजन की मात्रा होती है उतना ही वह रेयर ब्लड ग्रुप माना जाता है. ये एंटीजन बॉडी में एंटीबॉडी बनाने का काम करते हैं जो कि हमारे शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है. ये एलियन ब्लड पिछले 52 सालों में आज तक केवल 43 लोगों में ही पाया गया है. रिसस नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति किसी भी इंसान को अपना खून दे सकते हैं. लेकिन यह केवल अपने ही ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से ब्लड ले सकता है. यानि की पूरी दुनिया में इनके पास ब्लड लेने के चांसेस मात्र 0.001 पर्सेंट से भी कम हैं.
आमतौर पर यह लोग भी एक साधारण जीवन ही बसर करते हैं लेकिन अपने डोनर कम होने के कारण इन्हें अपना खास ध्यान रखना पड़ता है. आप सोच सकते हैं कि पूरी दुनिया में 50 से भी कम लोगों के पास ये गोल्डन ब्लड है तो ऐसी स्थिति में एमरजेंसी के समय खून मिल पाना कितना मुश्किल हो सकता है. कई लोगों का मानना है कि यह खून इंसानों का नहीं बल्कि एलियंस का है, इन लोगों के इंसानी शरीर में एलियंस का खून दौड़ता है.
दरअसल एक रिसर्च में यह सामने आया है किये लोग इस दुनिया के हैं ही नहीं और अब इस बात पर खोज चल रही है कि आखिर ये लोग आए कहांसे? यह लोग दिखते तो आम लोगों की तरह ही हैं लेकिन इन सभी की फिजीकल अपीयरेंस थोड़ी अलग और अनोखी होती है. जैसे कि इन लोगों की आंखें काली नहीं बल्कि नीली, लाल, हरे य भूरे रंग की होती हैं. और यह गर्मी से काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं. इन लोगों की खास बात ये है कि इनका आईक्यू लेवल सामान्य लोगों से ज्यादा होता है. रिसस नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोग सबसे ज्यादा युरोप में पाए जाते हैं, एशिया में इनकी आबादी केवल 1 प्रतिशत ही है.
अब देखना ये होगा कि क्या सच में रिपोर्ट्स के अनुसार इन लोगों में एलियंस का ब्लड दौड़ता है. यूरोप के कई डॉक्टर्स का कहना है कि “अगर ऐसा सही में है तो यह जानना इंसानी भविष्य के लिए बेहद अद्भुत हो सकता है. क्या पता इसके जरिए हमें कैंसर या एड्स जैसी भयंकर बीमारियों का इलाज मिल पाए.”