सन 1666 में देश के उत्तर पूर्वी रियासतों पर औरंगजेब का कब्ज़ा था.
जैसा की शुरुआत से ही देश के कुछ हिस्से कृषि के लिए मशहूर रहे हैं तब भी यह क्षेत्र कृषि के लिए जाना जाता था.
औरंगजेब ने तब हुकूम सुनाते हुए अचानक से खेती पर कर बढ़ा दिया था. यह जानता था कि ऐसा करने से छुटपुट आन्दोलन तो होने ही हैं.
दिल्ली से कुछ ही दूरी पर एक गाँव पड़ता है जिसका नाम है तिलपत गाँव. तब गाँव के सरदार गोकुल सिंह थे. गाँव के लोगों ने तब कर भरने से मना कर दिया था.
औरंगजेब गोकुल सिंह की बहादुरी से अच्छी तरह वाकिफ था. वह चाहता था कि गोकुल सिंह हमारे साथ जुड़ जाये तो कर लेने में आसानी होगी.
तब तिलपत में हुआ भयंकर युद्ध
जब औरंगजेब को लगा कि अब गोकुल सिंह मनाने वाला नहीं है तब उसने इस गाँव पर हमला कर दिया.
सामने जाटों की सेना थी जो औरंगजेब की सेना से टक्कर लेने के लिए खड़ी हुई थी. युद्ध शुरू हुआ तो सबसे पहले गांव के किले को तोपों से उड़ा दिया गया. कहते हैं कि यह युद्ध जाटों का औरंगजेब के खिलाफ पहला युद्ध था.
या बोल सकते हैं कि गोकुल सिंह ऐसा पहला जाट था जो औरंगजेब से टक्कर ले रहा था. पहले औरंगजेब ने अपने सेनापति अब्दुल नबी खां को युद्ध के लिए भेजा. अब्दुल नबी खा की गोकुल सिंह की हवा निकाल दी. नबी खां की सेना भागने पर मजबूर हो गयी थी. इसके बाद औरंगजेब ने अपने दूसरे सेनापति रादअंदाज खा को भेजा और उसका भी यही हस्र हुआ. दो बार हारने के बाद औरंगजेब खुद एक बड़ी सेना लेकर युद्ध के मैदान पर आया.
तब कहते हैं कि एक भयंकर युद्ध हुआ.
गोकुल सिंह को इस बार अपनी हार नजर आने लगी थी लेकिन फिर भी उसने युद्ध भूमि में शहीद होना स्वीकार किया लेकिन अब युद्ध से भागना उसे स्वीकार नहीं था.
इतिहास की किताबों में इस युद्ध की तारीख 10 मई 1666 बताते हैं. भयंकर संघर्ष चल रहा था. औरंगजेब एक बार को घबरा चुका था. उसकी सल्तनत हिल चुकी थी. औरंगजेब के 4000 सैनिक मार दिए गये लेकिन गोकुल की सेना के भी 5000 वीर योद्धा शहीद हो चुके थे.
जब औरंगजेब ने गोकुल सिंह को मुसलमान बनने को कहा
अंत में गोकुल को युद्ध में गिरफ्तार कर लिया गया. औरंगजेब ने गोकुल की जान को बचाने के लिए शर्त रखी कि वह मुसलमान बन जाये. लेकिन गोकुल ने इस बात को स्वीकार नहीं किया. उसको हिंदुत्व से प्यार था और वह हिन्दू पैदा हुआ था इसलिए हिन्दू ही मरना चाहता था.
जनता को आतंकित करने के लिए गोकुल सिंह को आगरा किले पर टुकड़े-टुकड़े कर कटवा दिया और इस तरह से गोकुल सिंह जैसा योद्धा शहीद हो गया.
लेकिन इस वीर योद्धा की शहीदी खराब नहीं हुई, मरने से पहले गोकुल के बलिदान ने मुग़ल शासन के खात्में की नींव रख दी थी.
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