शुभ अवसरों पर तोहफे देने की प्रथा लंबे समय से चली आ रही है। अलग-अलग मौकों पर विभिन्न तरह के तोहफे दिए जाते हैं। लेकिन भगवान की मूर्ति एक ऐसा तोहफा होता है, जिसे किसी भी अवसर पर देना शुभ ही माना जाता है।
किसी का गृहप्रवेश, जन्मदिन, एनिवर्सरी आदि हो तो गणेश जी की मूर्ति व शादियों में आमतौर पर राधा-कृष्ण दिए जाने का चलन है।
लेकिन हमारे शास्त्रों में विभिन्न देवताओं के आकार व स्थापना को लेकर कई तरह के नियम होते हैं। यदि हम इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो यह अशुभ माना जाता है। इसलिए भगवान की कोई भी मूर्ति गिफ्ट करने से पहले उससे जुड़े महत्वपूर्ण नियमों की जानकारी होनी बेहद जरूरी है, ताकि आपकी शुभकामनाएं सामने वाले के लिए परेशानी ना बन जाए।
तो चलिए करते हैं, ऐसे ही कुछ नियमों की बात –
भगवान की मूर्ति –
ना करें गिफ्ट
वास्तु शास्त्र के हिसाब से तो किसी अन्य व्यक्ति को भगवान की मूर्ति तोहफे में देनी ही नहीं चाहिए। चूंकि इन मूर्तियों की स्थापना सही तरीके से नहीं करने के दुष्परिणाम होते हैं। इसलिए अगर सामने वाले व्यक्ति को ये नियम नहीं पता होंगे तो उसकी लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। बेहतर है कि भगवान की मूर्तियां अपने ही इस्तेमाल के लिए खरीदी जाएं।
इन्हें ना करें गणेश की मूर्ति गिफ्ट
माना जाता है कि गणेश जी की मूर्ति तो किसी भी अवसर पर दी जा सकती है। मगर असल में कुछ लोगों को गणेश जी की मूर्ति नहीं दी जानी चाहिए। उदाहरण के लिए बेटी की शादी में उसे गणपति की मूर्ति देना अशुभ होता है। ऐसा इसलिए कि लक्ष्मी और गणेश हमेशा साथ होते हैं। यदि घर की लक्ष्मी के साथ गणेश को भी भेज देंगे तो घर की समृद्धि भी उनके साथ चली जाएगी।
द्वार पर ना लगाए
दरअसल जिस दिशा में गणेश जी की नजरें होती हैं, उसे शुभ व जिधर पीठ होती है उसे अशुभ व नकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है।ऐसे में घर के बाहर गणेश जी लगाने का मतलब है कि उनकी शुभ नजरें तो पड़ोस या बाहर की तरफ है। इसलिए गणपति की मूर्ति को देवघर में ही रखा जाना चाहिए।
सूंड की दिशा का महत्व
भगवान गणेश की मूर्ति खरीदने से पहले उनकी सूंड किस दिशा में है, ये जरूर देख लेना चाहिए। घर में रखने के लिए बायीं ओर सूंड वाले गणपति लाने चाहिए, क्योंकि इनकी पूजा-अर्चना आसानी से हो जाती है। जबकि दाईं ओर सूंड वाले गणेशजी की पूजा करने में बहुत सावधानी व नियम कायदों का पालन करना पड़ता है।
साइज का ध्यान रखना जरूरी
यदि गणेश जी की मूर्ति गिफ्ट कर रहे हैं, तो इसकी लंबाई 18 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। गिफ्ट में देने के लिए बैठे हुए गणपति की मूर्ति सबसे सही होती है और उनके हाथ में मोदक व साथ में चूहा है तो और बेहतर।
क्या सही चुनाव है राधा-कृष्ण की मूर्ति?
शादी के मौकों पर हम प्यार का प्रतिक मानकर राधा-कृष्ण की मूर्ति तोहफे में देते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार शादी जैसे मौकों पर तो राधा-कृष्ण बिल्कुल नहीं देने चाहिए। ऐसा इसलिए कि राधा-कृष्ण के बीच प्रेम तो था मगर वो कभी एक नहीं हो पाएं। इसके साथ ही नए-नवेले जोड़े को गणेश-रिद्धि-सिद्धि देने से भी बचना चाहिए। यदि आप भगवान की मूर्ति ही देना चाहते हैं तो विष्णुजी-लक्ष्मी का चुनाव करें। हालांकि इनके लिए भी नियमों का पालन करना आवश्यक है।
यह मूर्ति भी शुभ
राधा और कृष्ण की मूर्ति तोहफे में देना वर्जित है। मगर कृष्ण की बांसुरी बजाती हुई, बालकृष्ण की मूर्ति या गाय के साथ वाली मूर्ति आप उपहार स्वरुप दे सकते हैं।
भगवान की मूर्ति – आमतौर पर गणेश जी व राधा-कृष्ण की मूर्ति ही तोहफे में देने का चलन है। इसलिए अगर आप किसी करीबी को ये मूर्तियां दे रहे हैं, तो वास्तु शास्त्र के इन नियमों का पालन जरूर करें।
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