आरो का पानी – भारत एक ऐसा देश है जहाँ श्रध्दा के नाम पर लोग अपनी जान भी दे देते हैं.
यह एक ऐसा देश है जहाँ लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिलता, लेकिन मंदिरों में पानी के अलावा दूध भी बहाया जाता है. ये श्रध्दा से जुड़ा विषय है, इसलिए इस पर चर्चा करना भी पाप के सामान है. देश की सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐसा निर्णय सुनाया है, जिसे सुनकर हैरान रह जाएंगे आप.
मध्य प्रदेश के के उज्जैन में महाकालेश्वर का स्थान है. यहाँ पर सालभर और हर दिन श्रधालुओं की भीड़ लगी रहती है. लोग अपने पापों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर दूध, पानी, धतूर आदि का चढ़ावा चढाते हैं. इसे लेकर अदालत में अर्जी दायर की थी कि ये सारी चीज़ें भक्तों को मना किया जाए, क्योंकि इससे शिवलिंग को नुक्सान पहुँच रहा है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया कि अब सिर्फ आरो का पानी ही शिवलिंग पर चढ़ाया जा सकता है. हर भक्त को केवल आधा लीटर आरो का पानी मिलेगा, जिसे वो शिवलिंग पर अर्पित कर सकता है. इसके अलावा कोई अन्य चीज़ का अभिषेक नहीं किया जाएगा.
अदालत की ये बात सुनकर भगवान भी खुश होंगे कि इस प्रदूषण भरे वातावरण में उन्हें भी आरो का पानी शुध्द पानी पीने को मिलेगा. अब लोग आरो का पानी ही शिवलिंग का अभिषेक करने में उपयोग करेंगे.
जो याचिका आदालत में दायर की गई थी, उसमें ये भी कहा गया था की अब से भक्तों को गर्भ गृह तक जाने की अनुमति न दी जाए, क्योंकि इससे भगवान् को नुक्सान पहुँच रहा है. बहुत ज्यादा गंदगी हो जाती है.
इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर तरह तरह के बयान शुरू हो गए हैं. कोई इसके हक में तो कोई इसके विरोध में बयानबाजी कर रहा है.
वैसे सच में देखा जाए तो शिवलिंग पर आरो का पानी क्यों चढ़ाया जाये – इतना खर्च सरकार उसपर करेगी, उससे कम में उस जगह पानी की व्यवस्था कर दे जहाँ के लोग तालाब और पोखरे का गन्दा पानी पीकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं और गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.