छप्पन भोग – अब तो क्या ज़माना आ गया है, भगवान को भी खुश करने के लिए लोग रिश्वत देने लगे हैं।
दोस्तों आप भी अपनी कोई बात मनवाने के लिए भगवान को कोई ना कोई लालच देते ही होंगें। आजकल तो ये रस्म बन गई है कि अगर कुछ चाहिए तो भगवान को प्रसाद चढ़ाओं या दान दो।
इसी वजह से देश के मंदिरों में हर साल करोड़ों रुपयों का चढ़ावा आता है। इस मामले में शिर्डी के साईं बाबा का मंदिर सबसे ऊपर है। अगर आप भी कोई बात मनवाने के लिए भगवान को लालच देते हैं तो ज़रा इस खबर को पढ़ लीजिए।
हमारे पड़ोस में रहने वाली सुशीला आंटी ने अपने बेटे की सरकारी नौकरी के लिए भगवान से मन्नत मांगी थी। साथ ही उन्होंनें रिटर्न में भगवान को छप्पन भोग लगाने का भी वादा किया था।
जब सुशीला आंटी के बेटे की सरकारी नौकरी लगी तो उन्होंने अपने वायदे के अनुसार भगवान को छप्पन भोग लगाया और उनके कीर्तन का आयोजन किया। बस सभी भक्ति में ही डूबे थे कि तभी भगवान साहब ने आकर आंटी जी को बोला कि – मैं नेता नहीं हूं।
ये सुनकर आंटी तो क्या वहां बैठे सभी लोग चौंक गए।
भगवान के इस डायलॉग का मतलब था कि मैं नेता नहीं हूं जो अपने भक्तों को झूठे सपने दिखाऊं। तुमने मुझसे जो मांगा था मैंने वो दे दिया और तुमने भी भोली जनता की तरह अपना वादा पूरा किया। लेकिन इतना तामझाम करने की क्या जरूरत थी। छप्पन भोग की जगह अगर तुम सच्चे मन से मेरा नाम भी ले लेती तो मैं खुश हो जाता है वैसे ही जैसे अपने मोहल्ले में चुनाव के दौरान किसी नेता को देकखर जनता खुश हो जाती है।
भगवान साहब के मुंह से ये सब बातें सुनकर तो आंटी जी जैसे सन्न ही रह गईं। दोस्तों अगर आप भी भगवान को ऐसी कोई रिश्वत देते हैं तो संभल जाइए वरना आपको भी भगवान से सुशी आंटी की तरह डांट पड़ सकती है।
ये तो थी भगवान की बात, अब ज़रा नेताओं की भी खबर ले लें। खबरों में बने रहने के लिए अब नेता, मंत्री और जानी-मानी हस्तियां ऐसे बयान देने लगे हैं जो किसी के भी लिहाज़ से सही नहीं कहे जा सकते।
नेताओं की बयानबाज़ी से तो खुद प्रधानमंत्री मोदी भी परेशान हो गए हैं। वो खुद नेताओं से संयम रखने की बात कह चुके हैं। आजकल सोशल मीडिया और मीडिया का चलन काफी बढ़ गया है और लगता है कि लाइमलाइट में रहने के लिए नेता ऐसे बयान देते हैं ताकि लोग उन्हें सुनें और उन्हें याद रखें।
दूसरों पर टिप्पणी या बयान देकर सुर्खियों में आना उन्हें बहुत आसान लगता है इसलिए वो ऐसा बार-बार करते हैं। कई बार नेताओं को अपने बयान पर माफी तक मांगनी पड़ी है लेकिन फिर भी ये लोग सुधरते नहीं हैं।
जनता और नेताओं का रिश्ता भी कुछ-कुछ एक जैसा ही है। जिस तरह नेता वादा करके भूल जाते हैं वैसे ही कभी-कभी भक्त भी अपने भगवान से किया वादा पूरा करना भूल जाते हैं।
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