‘अंचभा’ शब्द खेल के लिए बिलकुल सही है।
विशेषतौर पर फुटबॉल के लिए। हो भी क्यों न आखिर फुटबॉल अनिश्चितताओं ने भरा जो है।
आखिर कौन सोच सकता था कि 2002 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ ब्राजील के रोनाल्डिन्हों 35 मीटर की दूरी से फ्री किक लगाकर गोल करने में कामयाब हो जाएंगे। मगर फुटबॉल है ही ऐसा खेल। हर किसी का दिल वैश्विक स्तर के इस सबसे अमीर खेल पर आकर लग ही जाता है। फुटबॉल के विशेषज्ञों ने कभी सोचा भी नहीं था कि कभी कॉर्नर पर ली गई किक सीधे गोल में तब्दील हो जाएगी। आमतौर पर कॉर्नर किक में या तो हेड गोल या फिर भारी तकरार के बाद पैर से गोल होता आया है।
चलिए आज कुछ ऐसे ही चुनिंदा सीधे कॉर्नर किक गोलों पर नजर डालते है जिसने अंचभा शब्द को खेल में सार्थक कर दिया।
डेविड बैकहेम
दुनिया के सबसे मशहूर फुटबॉलरों में से एक डेविड बैकहेम भी सीधा कॉर्नर किक पर गोल जमाकर लोगों को अपनी खेल शैली का मुरीद बना चुके हैं। डेविड बैकहेम के पैरों में जादू था। ऐसा मैं नहीं बल्कि कई फुटबॉल के पंडित कहते रहे हैं। ‘बैंड इट लाइक बैकहेम’ यानी बैकहेम की तरह गेंद मोड़ना मुहावरा तब तक सही नहीं हुआ जब तक इंग्लिश फुटबॉलर ने यह गोल नहीं किया। अमेरिका की टीम एलए गैलेक्सी की तरफ से खेलते हुए चिकाको फायर के खिलाफ बैकहेम ने मैच के अंतिम क्षणों में यह कमाल का गोल किया। इसकी बदौलत उनकी टीम 2-1 से मैच जीतने में कामयाब हुई। उनका यह गोल लंबे समय फुटबॉल में यादगार बन गया।