ग्लूकोज़ की बोतल – पेड़ों की संख्या दिन बा दिन कम होती जा रही है.
इसका कारण है पेड़ों की कटाई और उसके जगह रहने के लिए आशियाने का बनाना. पेड़ों की कटाई करके लोग अपने रहने के लिए घर बनाते हैं. इसी कारण पेड़ों की संख्या घटी जा रही है. पेड़ बचाओ आन्दोलन कई बार चल चुका है, लेकिन उसका ज्यादा फायदा देखने को नहीं मिला.
पेड़ों की कटाई के अलावा भी ऐसे कई कारण हैं जो पेड़ों की संख्या को घटा रहे हैं. पेड़ों की घटती दूसरी वजह है, उनमें कीड़ों का लगना.
ऐसे में पेड़ों की संख्या ख़त्म हो रही है. भारत में एक जगह ऐसी है जहाँ के लोग सबसे पुराने बरगद के पेड़ को बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं.
यहाँ के लोग बरगद के पेड़ को ग्लूकोज़ की बोतल चढ़ा रहे हैं.
असल में बात ये है कि यहाँ के लोग पागल नहीं हैं, बल्कि वो पेड़ों की सुरक्षा को लेकर बहुत ही जागरूक हैं.
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बरगद के पेड़ का अस्तित्व संकट में हैं. दरअसल, तेलंगाना के महबूबनगर ज़िले के पिल्लामर्री में स्थित 700 साल पुराने पेड़ के जीवन पर ख़तरा मंडरा रहा है.
दुनियाभर में मशहूर इस पेड़ को जीवित रखने के काफ़ी प्रयत्न किये जा रहे हैं, जिसके चलते सलाइन ड्रिप भी चढ़ाई जा रही है.
World's second largest Banyan tree in Pillalamarri of Mahabubnagar district in Telangana is on saline drip as part of the rejuvenation of the tree that is almost dying.The tree is given treatment by injecting diluted chemical to kill termite population that infested it. pic.twitter.com/0ADu5jbAd2
— ANI (@ANI) April 18, 2018
इस बरगद की खबर बहुत ही इम्पोर्टेन्ट थी.
तभी तो इसकी बाकायदा रिपोर्ट निकली गई. इस पुराने बरगद के पेड़ में दीमक लग गए थे. एक रिपोर्ट के अनुसार, दीमक की वजह से पेड़ दिन पर दिन खोखला होता जा रहा है. इतना ही नहीं, इसी के चलते पेड़ का कुछ हिस्सा गिर भी चुका है और 2017 के बाद से यहां पर्यटकों के आने पर पाबंदी लगा दी गई है.
वहीं पेड़ से दीमक ख़त्म करने और उसे बचाने के लिए इंजेक्शन से डाईल्यूटेड केमिकल्स दिये जा रहे हैं. इससे दीमक मर जाएंगे और पेड़ बाख जाएगा.
जिस तरह से हमारी बॉडी को रोगों और कमजोरी से दूर रखने के लिए ये दवा और इंजेक्शन दिया जाता है, ठीक उसी तरह से पेड़ों का भी इलाज किया जाता है.
बताया जा रहा है कि पेड़ पर कीटनाशक दवाओं से भरी सैकड़ों बोतलें लटकाई गई हैं, ताकि शाख़ाओं और तनों में केमिकल पहुंचाया जा सके. तीन एकड़ की ज़मीन पर फैले इस पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए, उसे पाइप्स और पिलर्स का सपोर्ट भी दिया गया है.
साथ ही आस-पास कंक्रीट का स्ट्रक्चर भी तैयार किया गया है. किया भी क्यों न जाए जब ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पेड़ है.
हमारे यहाँ पेड़ों को लेकर अब लोग थोड़े जागरूक हो रहे हैं और अपने घर के आसपास पेड़ लगा रहे हैं. खबरों की मानें तो भारत का ये पेड़ दुनिया का दूसरा सबसे विशालकाय पेड़ है. इसकी तस्वीर देख मानो ऐसा लग रहा है, जैसे अस्पताल में किसी मरीज का इलाज किया जा रहा हो. ज़िलाधिकारी रोनाल्ड रॉस व्यक्तिगत तौर पर इसकी निगरानी कर रहे हैं. इसकी हालत पर मीडिया और प्रशासन लगातार नज़र बनाए हुए हैं.
ग्लूकोज़ की बोतल – किस्मत वाला है ये पेड़ जो इस तरह का इलाज पा रहा है वरना आज तो लोग बीमार लोगों का भी इलाज नहीं करवाते.