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ग्लोबल वार्मिंग से हो रहे हैं लोगों की सेक्स लाइफ़ पर ये दुष्प्रभाव!

सूखा, सुनामी, तूफ़ान, बाढ़ वगैरह वगैरह!

अभी तक यही सब सुना था जो ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारी ज़िन्दगी में होने वाला है| पर दोस्तों, अब बात और भी ख़राब हो गयी है, ग्लोबल वार्मिंग आपके बेडरूम्स में पहुँच चुकी है और आपकी सेक्स लाइफ़ की धज्जियाँ उड़ाने को तैयार है!

आइए बताता हूँ ग्लोबल वार्मिंग के सेक्स लाइफ़ पर पड़ने वाले 8 ख़तरनाक दुष्प्रभाव!

1) सेक्स ड्राइव

आपकी सेक्स ड्राइव पर इसका सीधा असर पड़ेगा! एक स्टडी के अनुसार, जितनी गर्मी बढ़ेगी, उतना ही आपका सेक्स करने का मन यानि कि आपकी सेक्स ड्राइव कम होती चली जायेगी!

2) हॉर्मोन्स में बदलाव

ज़्यादा गर्मी की वजह से हॉर्मोन्स पर भी प्रभाव पड़ेगा| महिलाओं में पीरियड्स की मासिक साइकिल ऊपर-नीचे होने की संभावना है तो वहीं बचपन से टीनएज और वहाँ से जवान होने की प्रक्रिया पर विपरीत असर पड़ेगा!

3) सीमेन की क्वॉलिटी

अत्यधिक गर्मी की वजह से पुरुषों की सीमेन की क्वॉलिटी नीचे जायेगी जिसका सीधा असर बच्चे पैदा करने की क्षमता पर भी पड़ेगा|

4) ओव्युलेशन

अर्थात औरतों की गर्भ धारण करने की क्षमता भी कम होती जायेगी, और माँ बन पाना उतना ही मुश्किल| दवाईयों और कई तरह के इलाजों पर निर्भर करना पड़ेगा जिसका सीधा असर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक सेहत पर पड़ेगा!

5) कम बच्चे पैदा होना

इसका सीधा असर पड़ेगा जनसँख्या पर| नहीं, ख़ुशी की बात नहीं है क्योंकि धीरे-धीरे दुनिया में बूढ़े लोग बढ़ जाएँगे जो काम करने में असमर्थ होंगे और जवान जनसँख्या कम होगी जिसका असर समाज, देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा!

6) गर्मियों में जन्म

चूंकि गर्मी की वजह से सेक्स ड्राइव कम होगी, सर्दियों में सेक्स ड्राइव बढ़ने की संभावनाएँ ज़्यादा हैं मतलब गर्मियों में ज़्यादा बच्चे पैदा होंगे! यानी साल के एक चौथाई या करीबन आधे हिस्से में ज़्यादा जन्म होंगे जिसका असर समाज पर अवश्य पड़ेगा!

7) आर्थिक स्थिति 

गर्मी की वजह से सेक्स करने का मन तभी होगा अगर घर में एयर कंडीशनर होंगे| वैसे तो आजकल ए/सी के बिना जीवन मुश्किल है लेकिन तब भी हर कोई इसे अफ़्फोर्ड नहीं कर सकता| ऐसे में जेब पर ग्लोबल वार्मिंग का सीधा असर पड़ेगा!

8) बिना सेक्स के क्या ज़िन्दगी?

जितना ज़रूरी खाना, हवा और सर पर छत है ज़िन्दगी के लिए, उतना ही ज़रूरी सेक्स भी है! अगर वो कम हुआ तो शरीर की फ़्रस्ट्रेशन कहीं ना कहीं और निकलेगी और इस वजह से मुश्किलें बढ़ेंगी ही, कम नहीं होंगी!

तो दोस्तों, आईये वो सब करें जिस से ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सके! ये अब दूसरों की मुसीबत नहीं है, हमारी-आपकी मुसीबत है!

Nitish Bakshi

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