खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है, सच्ची खुशी क्या है, क्या सच में हम जो कर्म करते हैं उसका हमें फल मिलता है, क्या सच में हमारे दिल की संतुष्टि ही सबसे बड़ी खुशी है?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो हर इंसान कभी ना कभी खुद से ही पूछता है। ऋषि-मुनियों ने भी गीता की महिमा को सरमाथे लिया है और इसे ज्ञानगंगा बताया है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी गीता को अपना आदर्श और जीवन का आधार माना करते थे।
अगर बात शास्त्र के ज्ञाताओं की करें तो उन्होंने गीता को गंगा से भी पवित्र माना है क्योंकि गंगा भगवान के श्रीचरणों से निकली है लेकिन गीता का सृजन भगवान के हृ्दय से हुआ है।
आज यहां हम भी आपको गीता से जुड़ी वो बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें अगर आप अपनी असल ज़िंदगी में उतार लें तो ना केवल हमारी ज़िदंगी खुशहाल रहेगी बल्कि हमे आनन्द और संतोष की अनुभूति भी होगी।
सबसे पहली बात तो ये कि आप कर्म करें, ऐसा कर्म करें जो आपके हित में तो हो लेकिन उससे किसी और का अहित ना हो। कर्म करते वक्त फल की चिंता ना करें। अगर आप बिना किसी फल की लालसा के और पूरी निष्ठा भाव से करेंगे तो इस बात पर विश्वास बनाए रखें कि आपको उसका फल भी अच्छा ही मिलेगा।
साथ ही एक और बात जो गीता हमे सिखाती है वो कर्मों के सिद्धान्त पर यकीन रखना है। हमे अपने दिल में किसी के लिए बदले या बैर की भावना नहीं रखनी चाहिए। कर्मा के सिद्धान्त पर विश्वास रखनी चाहिए। जो जैसा कर्म करता है, उसके पास वही वापस लौट कर आता है। गीता के अनुसार, ये एक अमिट सत्य है। इस ग्रंथ में ज्ञान, वैराग्य और मुक्ति प्राप्त योगी की दशा का वर्णन है।
गीता में निष्काम होकर अपने काम को करने की जो अद्भुत प्रेरणा मिलती है, उसके संदर्भ में जो भी कहा जाएं वो कम ही है।
गीता से आप एक बात का ज्ञान और ले सकते हैं कि सही-गलत, अच्छे-बुरे में हमेशा सही और अच्छाई को ही चुनना चाहिए। अगर आप सही हैं तो भले ही आपके विरोध में आपके अपने, पूरी दुनिया ही क्यूं ना खड़ी हो लेकिन आपको अपने कदमों को डगमगाने नहीं देना चाहिए क्योंकि आखिरकार जीत सत्य की ही होती है।
इसके अतिरिक्त गीता में मोह और माया को त्यागने पर भी ज़ोर दिया गया है।
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से ऐसा बहुत कुछ कहा है जिसे अगर हम अपने जीवन में उतार लें तो वो हमारे जीवन को परिवर्तित कर सकती हैं। गीता के इन संदेशों पर आप सब भी गौर करें तो इन्हें अपने जीवन में उतारें। इससे ना केवल आप मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे बल्कि खुश भी रहेंगे। अगर आप ईर्ष्या, द्वेश छोड़ कर अपने कर्मों पर ध्यान देंगे तो ये आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।
हिंदू धर्म में गीता को अत्यंत महत्वूपर्ण बताया गया है। इसमें उल्लिखित बातों को ध्यान में रखकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सुधार कर तरक्की के मार्ग की ओर चल सकता है। यही सुखी जीवन का रहस्य भी है।
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