देश के हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में प्यार की नाकाम कहानियों का जिक्र किया है।
कोर्ट ने कहा है कि अकसर लड़कियां अपने पैरेंट्स की खुशी के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देती हैं।
अदालत ने अपने फैसले में उस व्यक्ति के दोषी होने और उम्रकैद की सज़ा पाने को खारिज कर दिया जिसने एक लड़की के साथ गुपचुप शादी करने के बाद आत्महत्या करने का करार किया था लेकिन वो इसमें जिंदा बच गया।
अदालत ने अपने बयान में कहा कि हो सकता है कि महिला ने पहले अपनी मर्जी से माता-पिता की इच्छा को स्वीकार किया हो लेकिन बाद में उसने अपना फैसला बदल लिया हो।
ये तो एक मामला है लेकिन अकसर देखा गया है कि लड़कियां अपने परिवार के दबाव और लोक-लाज की चिंता में अपने प्यार की कुरबानी देती है । लड़कों ने भी ये माना है कि लड़कियां प्यार के ऊपर परिवार को चुनती हैं और अपनी मर्जी के खिलाफ जाकर अपने पैरेंट्स की पसंद से शादी कर लेती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि परिवार के लिए भारतीय लड़कियां अपने प्यार की कुरबानी दे देती हैं।
ऐसा लगता है कि भले ही आज की जेनरेशन कितनी ही मॉडर्न हो गई हो लेकिन शादी और परिवार को लेकर वो आज भी कमज़ोर है। आज भी पैरेंट्स अपनी बेटियों की पसंद पर भरोसा नहीं करते हैं और उनकी पूरी जिंदगी का फैसला खुद ले लेते हैं फिर चाहे बेटी सुखी रहे या उस रिश्ते में घुट-घुट कर मर जाए, उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती है।
भारत में रिलेशनशिप में रहने वाले युवाओं के आंकड़े तो बहुत ज्यादा हैं लेकिन अपने प्यार की कुरबानी देकर अरेंज मैरिज करने वाली लड़कियों की संख्या भी कुछ कम नहीं है।
वैसे तो ये हर लड़की का निजी फैसला होता है लेकिन हमारी राय तो यही है कि अगर आप किसी से सच्चा प्यार करती हैं तो उसे किसी भी कीमत पर अपने से दूर न जानें दें क्योंकि प्यार को छोड़ने के बाद शादी तो आप कर लेंगीं लेकिन वो शादी नहीं एक समझौता ही रहेगा।