बेटे की चाहत में – सदी चाहे जो हो, इंसान की फितरत और दिमाग कभी नहीं बदल सकता. हर सदी में वो वही रहेगा.
आज भी लड़कियों के पैदा होने पर अक्सर महिलाओं को घर में ताने सुनने पड़ते हैं. ये बात सिर्फ गाँव की नहीं है. ये बात तो शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे लोगों की भी है. बड़े प्यार से लोग पत्नी के प्रेग्नेंट होने पर ये कह देते हैं कि लड़की हो या लड़का उन्हें फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जैसे ही पत्नी क्यूट सी बेटी को जन्म देती है, पति समेत कईयों के चेहरे पर सिकन आ जाती है.
इसी लड़के और लड़की के फर्क को और बढ़ाते हुए लोग अब अपने देश में नहीं, बल्कि पड़ोसी देश का रुख कर रहे हैं.
बेटे की चाहत में पुरुष प्रधान इस समाज में लड़कियों की स्थिति हमेशा ही जस की तस रहने वाली है.
सरकार चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले, लेकिन लोगों की मानसिकता नहीं बदल सकती. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा भले ही लोग लगाते हों, लेकिन अपने ही घर में उनका गला घोटने में पीछे नहीं हटते. हमारे देश में प्रति एक हजार लड़कों पर सिर्फ 940 लड़कियां हैं. इसका मतलब हुआ कि बाकी बचे 60 लड़के कुंवारे रह जाएंगे. भविष्य में इनकी शादी नहीं होगी.
जब शादी नहीं होगी तो यही लड़के लड़कियों को किडनैप करेंगे और समाज में कई तरह का क्राइम बढ़ेगा, लेकिन अभी इसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.
भारत में लाख कानून बन जाए, लेकिन लोग गर्भ में पल रही बेटी का पता लगाने के लिए विदेश तक चले जा रहे हैं.
पेट में ही बेटी का परिक्षण कराकर उसे मार दे रहे हैं. अब बेटे की चाहत में लोग पड़ोसी मुल्क नेपाल का रुख कर रहे हैं. बेटे की चाहत में भारत में भ्रूण हत्या और प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण गैर कानूनी है और इसमें दंड का प्रावधान भी है. अब तो लोग इस कानून से बचने के लिए पड़ोसी देश नेपाल में जाकर लिंग परीक्षण धड़ल्ले से करा रहे हैं. भारत-नेपाल की खुली सीमा के चलते बॉर्डर पर गर्भवती महिलाएं लिंग परीक्षण के लिए आसानी से नेपाल चली जाती हैं. इसके बाद जैसे ही जांच में पता चलता है कि पेट में पल रहा भ्रूण लड़की है उसे गर्भ में मार दिया जाता है.
देश में न सही दूसरे देश जाकर लड़कियों की हत्या की जा रही है.
बेटे की चाहत में महिलाओं के मना करने पर भी उनकी बात नहीं सुनी जाती और जबरन उन्हें उनका बच्चा गिराने के लिए कहा जाता है.
एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि हरियाणा में सेक्स रेशियो इतना कम हो गया था कि लोगों की शादी करने के लिए दूसरे प्रदेशों से लड़कियां मंगाई जाती थीं. हरियाणा के अलावा राजस्थान में अभी भी कुछ जगहों पर ऐसे रिवाज हैं कि जिनके घर लड़की नहीं है उनके यहाँ किसी लड़के की शादी नहीं होती. लड़का कुंवारा ही रह जाता है.
उन हिस्सों में लड़के नहीं, बल्कि लड़कियां दहेज़ लेती हैं. लड़कियों के पिता मोटी रकम लेकर अपनी बेटी का विवाह करते हैं.
सरकार को चाहिए की नेपाल बॉर्डर पर गर्भवती महिलाओं का जाना वर्जित कर दे. कुछ ऐसा ऐलान कर दे कि ये महिलाएं उस दौरान नेपाल नहीं जा सकतीं. हो सकता है कि ऐसा करने पर कुछ हद तक कमी आये.
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