देखो जी अब ये सोचना और कहना बंद कर दो की लड़कियों का दिमाग घुटने में होता है!
ये हम लड़कियां ही जानती हैं कि हम से ज्यादा कोई नहीं कोई नहीं सोचता और समझता इन्सानी रिश्तों को और बारिकियों को !
यानि कि ख्याली पुलाव टाइप बातें हमारे दिमाग में आती ही रहती हैं। कुछ बातों पर तो हम फ़िज़ूल में ही सोचना शुरू कर देते हैं, दिल पर ले लेते हैं और सोचते-सोचते स्ट्रेस में आ जाते हैं, पर सोचना फिर भी नहीं छोड़ते!
बस यही एक बिमारी है जो हमें ले डूबती है कसम से! तो मेरी प्यारी हसीनाओं, मैं आप को बताना चाह रही हूँ कि सोचना छोड़ दो, और खासकर अफ़सोस करना, वो भी इन 10 फ़िज़ूल की बातों पर!
जब कहानी खत्म हो ही गयी है और पर्दा गिर ही गया है तो किस बात पर अफ़सोस करना! खुश हो जाओ की पीछा छूटा और मौका मिला कुछ नया आज़माने का!
बाद में पछताने से तो अच्छा है की रोने में जो वक़्त बर्बाद कर रही हो, वो नयी ज़िन्दगी की तैयारी में लगाओ और नयी नयी चीज़ों की तरफ देखना शुरू करो! समझ रही हो न मैं क्या कह रही हूँ?
पड़ोस की ऑन्टी जी ने कह दिया कि ज़रा मोटी हो गयी हो और अंकल जी को तो बस और कोई काम ही नहीं फ़ालतू कि टीका टिप्पणी करने के अलावा, वो भी आप के ड्रेसिंग सेंस पर!
अब इन दोनों का कोई इलाज तो है नहीं! फिर क्यों सोचना और अफ़सोस करना?
अरे तो क्या हुआ?
अब अगर नहीं मिला तो अफसोस कर के कुछ नहीं होने वाला, लाइफ़ यहीं खत्म नहीं हो रही है। वैसे भी कॉलेज के नाम से कुछ ख़ास नहीं होने वाला!
अफ़सोस करना छोड़ो और दम है तो अपना करियर अपनी फ्रेंड से बढ़िया बना कर दिखाओ!
जानेमन मेरी मानो तो बहुत ही अच्छा हुआ! उस महाफलर्ट से दोस्ती कर के वैसे भी कौन सा आप उस की आदतें छुड़वा पाती!
अच्छा है ना बाद में ज़्यादा दिल दुखने से बेहतर अभी छोटा मोटा दिल दुखा और हो गया किस्सा खत्म!
अब अफ़सोस क्यों? आगे बढ़ो और कोई बढ़िया सा लड़का चुनो अपने लिए!
देखो मैं यहां आप को ज़्यादा सपोर्ट तो नहीं करूंगी, पर हाँ इतना ज़रूर कहूँगी कि खुद कि आदतों पर कंट्रोल करना इंसान के खुद के हाथ में होता है!
अगर बात उधार ले कर अपनी जायज़ नाजायज़ इच्छा पूरी करने पर आ गयी है तो ज़रूरी है कि आप इस बात पर गौर करें और अपना बजट प्लान करें!
अफ़सोस करने से तो ये करना बेहतर होगा!
इस मामले में अफ़सोस जता कर कुछ ख़ास होने वाला नहीं है!
चाहें तो अपनी किसी ख़ास दोस्त के साथ शेयर कर सकती हैं, जिस पर भरोसा हो कि वो आप के घर की बात की जगहंसाई नहीं करवाएगी! और हाँ, आप अपने मम्मी पापा की हेल्प भी कर सकती हैं, उन का स्ट्रेस थोड़ा काम कर के! अपनी तरफ से उन्हें थोड़ा बेफिक्र करने की कोशिश करें!
अपनी पढ़ाई सही तरीके से करें और अपनी लाइफस्टाइल चिकेस पर नियंत्रण रखें तो शायद आप के मम्मी पापा थोड़े से तनाव मुक्त रहेंगे और काम लड़ेंगे!
आप की तक़रीबन सभी सहेलियाँ बहुत ही सिक्योर रिलेशनशिप में हैं, एक आप ही हैं जो अकेले घूम रही हैं और अभी तक अपने भावी जीवन साथी यानि कि सोलमेट कि तलाश कर रही हैं! तो क्या हुआ? जब सही वक़्त आएगा तो आप को आपका प्यार सा साथी खुद बा खुद आ मिलेगा! अफ़सोस मत कीजिये, बस खूब हँसिये, मुस्कुराइए, खिलखिलाइए और जिंदगी को भरपूर जी लीजिये!
देखो सीधी सी बात है, अगर किसी एक ने भी दोस्ती बचाने की पूरी कोशिश की होती तो वो टूटती नहीं! अगर रिश्ते में खटास पढ़ चुकी थी तो उसे मान लीजिये और टूटी हुयी दोस्ती पर अफ़सोस करना छोड़िये! नए दोस्त बनाइये और कोशिश कीजिये जो गलतियां उस दोस्ती में हुईं उन को दोहराया ना जाए!
देखो मेरी जान, हमारी लाइफ में हमें कई बार ऐसे कई काम करने पड़ते हैं जो हमें नहीं पसंद होते पर ऐसी चीज़ें हमें बहुत कुछ सिखा जाती हैं। अगर आप ऐसी जॉब में ना फँसती तो आप को अपनी लाइफ के लक्ष्य के बारे में कभी पता नहीं चलता और ये कि आप वास्तव में क्या करना चाहती हैं! इसलिए अब ज़्यादा अफ़सोस ना कीजिये और अपने काम को थोड़ा सा इंटरेस्ट ले कर कीजिये जब तक इस जॉब मैं हैं! साथ साथ अपनी मनपसंद नौकरी कि तलाश भी जारी रखिये मगर एक पॉजिटिव आउटलुक के साथ! देखना सफलता ज़रूर हाथ लगेगी!
अब यहां पर तो बिल्कुल नो अफ़सोस! क्योंकि ये तो सरासर बेवकूफी होगी! या तो वज़न कम करने पर जी तोड़ जुट जाइए या फिर अपने शरीर को ले कर कुनमुनाना छोड़ दीजिये! अपने आप को खूबसूरत समझिए और सही नाप के ड्रेसेस पहनिए! एलिगेंट और चार्मिंग लगने के लिए वज़न का कोई ख़ास योगदान नहीं होता! आप अपने मौजूदा बॉडीशेप को भी सही तरीके से संवार सकती हैं और हज़ारों दिलों को जीत सकती हैं! कपड़ों और बॉडी से कम, और अपने बिहेवियर से ज़्यादा!
तो अब समझीं? की इन बातों पर अफ़सोस जता कर कुछ हासिल नहीं होगा! या तो जो पसंद नहीं उसे बदलने की ताक़त रखो और जुट जाओ, या फिर जो है उस में खुश रहो और ज़िन्दगी का पूरा स्वाद लो!
क्योंकि…
ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा!
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