शिक्षा और कैरियर

सैनिक स्कूल में 57 साल बाद मिला 6 लड़कियों को एडमिशन

पढ़ाई और डिसीप्लीन के मामले में सैनिक स्कूल का बहुत नाम है और हर पैरेंट्स का सपना होता है कि उसका बच्चा सैनिक स्कूल में पढ़े, लेकिन इस स्कूल में अब तक लड़कियों को दाखिला नहीं दिया जाता था.

सैनिक स्कूल में सिर्फ लड़के ही पढ़ते थे, लेकिन अब मिजोरम की 6 लड़कियों ने इतिहास रच दिया है. क्योंकि ये पहली लड़कियां है जो सैनिक स्कूल में पढ़ने जा रही हैं.

मिजोरम के छिंगछिप में स्थित सैनिक स्कूल में 6 लड़कियों को एडमिशन दिया गया है. ये सैनिक स्कूल देश का पहला ऐसा सैनिक स्कूल बन गया है जिसने लड़कियों को पढ़ने की इजाज़त दी है. आपको बता दें, नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के तहत 28 सैनिक स्कूल हैं. वहीं मिजोरम का यह सैनिक स्कूल देश के 26 सैनिक स्कूलों में से सबसे नया है. क्योंकि इसने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए एक नई मिसाल कायम की है. यहां क्लास 6 में 6 लड़कियों ने एडमिशन लिया है. यहां लड़कियों के साथ 154 लड़कों ने भी एडमिशन लिया है.

देश के पहले सैनिक स्कूल की स्थापना साल 1961 में महाराष्ट्र में हुई थी. जिसके बाद हरियाणा के कुंजपुरा, पंजाब के  कपूरथला, गुजरात के बालाचडी और राजस्थान  के चित्तौड़गढ़ में सैनिक स्कूल खोले गए.

वहीं सैनिक स्कूल शुरू होने के लगभग 57 साल बाद लड़कियों को यहां पढ़ने का मौका मिल रहा है. सैनिक स्कूल में एडमिशन मिलना आसान नहीं होता है. यहां पहले एंट्रेस टेस्ट लिए जाते हैं उसके बाद इंटरव्यू होता है.

154 लड़कों की क्लास में 6 लड़कियों का एडमिशन हो तो गया, लेकिन अब उनकी सुरक्षा स्कूल के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. स्कूल के प्रींसिपल कर्नल सिंह के मुताबिक, लड़कियों की सुरक्षा  को लेकर कई बार मीटिंग हो चुकी हैं. उनके लिए सुरक्षित हॉस्टल का भी इंतजाम किया गया है.

कर्नल के मुताबिक, लड़कियों के हॉस्टल के पास जल्द ही सीसीटीवी कैमरा लगा दिया जाएगा.

ये स्कूल नियम कायदों के मामले में बहुत सख्त माना जाता है. यहां एडमिशन ले चुकी लड़कियों का दिन सुबह 5:30 बजे शुरू होता है. जहां वह पीटी/ड्रिल के लिए तैयार होती हैं. जिसके बाद नाश्ता, कक्षा में जाना, गेम्स.  एक्सरसाइज, रात के खाने के साथ शाम 7 बजे दिन खत्म हो जाता है. लड़कियां यहां इंग्लिश, मैथ, हिंदी, सोशल स्टडीज, साइंस और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करती हैं. इसकी के साथ वह तीसरी भाषा मिजो और संस्कृत पढ़ सकती है. वो एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज में हिस्सा लेती हैं.

इस सैनिक स्कूल में निकले बच्चों का भविष्य उज्जव होता है और वो एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं, ये बहुत अच्छी बात है कि मिजोरम के स्कूल ने इस बार लड़कियों को भी यहां पढ़ने का मौका देकर उनके आगे बढ़ने का रास्ता खोल दिया है.

Kanchan Singh

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