फिल्मों का असर आम लोगों की जिंदगी में काफी देखने को मिलता है।
फिर वो चाहे उनका जीने का अंदाज़ हो, उनके बालों का स्टाइल हो, कपड़े पहने के तरीके हो, सब कुछ लोग टीवी और फिल्मों से ही तो सीखते है। वैसे तो फिल्मों में अच्छी और बुरी दोनों तरह की बातें बताई जाती है। लेकिन कुछ लोग फिल्मों की गलत बातों को ही चुनते है और उसी की तरह गलत कदम भी उठा लेते है।
जी हाँ ऐसे कई मामले है जो आये दिन देखने को मिलते है।
दरअसल हाल ही में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जिसमें फिल्मों और सेंसर बोर्ड की भूमिका पर सवालिया निशान लगाया है।
ये मामला चेन्नई की एक अदालत का में है, जहाँ एक 13 वर्षीय लड़की ने कहा कि एक फिल्मों का असर था जिनकी वजह से वो प्रेग्नेंट हो गई है।
दरअसल ये लड़की कुछ महीने पहले अपने एक बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई थी, उसके बाद बने शारीरिक संबंध की वजह से वो प्रेग्नेंट हो गई। हालाँकि लड़की के घर से भाग जाने के बाद उसके परिजनों ने पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई और कुछ दिन बाद उस लड़की को ढूँढ भी लिया गया।
उस लड़की को जब कोर्ट में पेश किया गया तो उसने चौंकाने वाली बात कही।
लड़की ने अपने बयान में कहा कि 2010 आई एक फिल्म को देखकर ही उसने भागने का कदम उठाया। इतना ही नहीं लड़की ने उसकी प्रेगनेंसी की वजह भी इसी फिल्म को बताया है। लड़की के इस बयान के बाद कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को समन भेजा है और उनसे जवाब माँगा है कि बोर्ड ने ऐसी किसी फिल्म को सर्टिफिकेट कैसे दे दिया। कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फिल्मों का असर और इस पूरे मामले में जल्द ही हलफनामा पेश करने के लिए कहा है।
इस पूरे मामले में ये बात तो खुलकर समाने आती है कि फिल्मों का असर को देखकर सेंसर बोर्ड को किसी भी फिल्म को सर्टिफिकेट देते समय सावधानी रखने की जरुरत है। हालाँकि एक तरफ तो सेंसर बोर्ड को संस्कारी होने का ताना भी मारा जाता है, वहीं दूसरी तरफ इस तरह के मामले सेंसर बोर्ड की भूमिका पर सवाल भी खड़ा करते है।