पाकिस्तान अपने कब्जे वाले जम्मू कश्मीर पर अपना कब्जा पुख्ता करने के लिए हर वो दांव चल रहा है जिससे भारत के सामने मुश्किल खड़ी हो.
लेकिन अब वक्त बदल चुका है.
भारत की गद्दी पर एक ऐसी सरकार बैठी हैं जो पाकिस्तान को अब उसके पाले में घुसकर मात दे रही है.
पाक के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने एक ऐसी ही कार्रवाई का बीड़ा उठाया है जिसके बाद पाकिस्तान सोचने को मजबूर हो जाएगा.
सांसद निशिकांत दुबे ने गिलगित और बाल्टिस्तान के कश्मीर के दूसरे इलाकों के लिए संसद में सीट आरक्षित करने की मुहिम छेड़ दी है. इसके लिए उन्होंने इससे जुड़ा एक विधेयक लोकसभा में पेश किया है.
अगर ये बिल दोनों सदनों में पास हो गया तो पाकिस्तान की रातों की नींद हराम हो जाएगी. पाकिस्तान ही नहीं बल्कि उसके साथ चीन की चिंता भी दोगुनी हो जाएगी.
वो ऐसे कि इस बिल के पास हो जाने के बाद अतंरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से अलग थलग पड़ चुके पाकिस्तान की स्थिति कश्मीर को लेकर ओर कम हो जाएगी. क्योंकि अभी तक भारत सरकार पाकिसतान के कब्जे वाले हिस्से को लेकर इस पर अपना दावा ही करती रही है लेकिन संविधान में इस दावे को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की है. इस बिल के पास होने के बाद भारत कानूनी और मनोवैज्ञानिक स्तर पर बढ़त बना सकेगा.
वहीं चीन जो पाकिस्तान में सीपैक बना रहा है वह भी उस क्षेत्र से होकर गुजर रहा है जो भारत का है और उस पर पाकिस्तान का कब्जा है.
संसद द्वारा बिल पास करने के बाद जब संविधान में उस क्षेत्र के लिए भारत लोकसभा में सीटे निर्धारित कर उन्हें सुरक्षित कर देगा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाक और चीन के लिए समस्याए आएगी.
अचरज की बात है कि यह इलाका लोकसभा में नहीं है, जबकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने इसके लिए 25 सीटें खाली रख छोड़ी हैं. दरअसल, संविधान बनाते समय तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने कभी इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया.
बहराल, सांसद दुबे द्वारा निजी विधेयक के तौर पर पेश इस बिल को आगामी बजट सत्र में संसद में लिया जा सकता है, जो कि 9 मार्च से शुरू होने वाला है.
इस विधेयक में कहा गया है कि संविधान में धारा 370 ए जोड़ी जाए ताकि लोकसभा में पांच और राज्यसभा में एक सीट बढ़ाई जा सके.
आपको बता दें कि पाकिस्तान काफी समय से अपने कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित और बाल्टिस्तान इलाके को संवैधानिक तौर पर पाकिस्तान का एक नया प्रांत बनाने पर काम कर रहा है.
भारत का कहना है कि कश्मीर के साथ गिलगित और बाल्टिस्तान उसका इलाका है तो इस वजह से पाकिस्तान भी इस मामले को नहीं सुलझा नहीं सका और इस इलाके को अपने संविधान के अंदर नहीं ला सका, क्योंकि अगर पाकिस्तान गिलगित बाल्टिस्तान को अपना हिस्सा बनाता है,पांचवां सूबा बनाता है तो फिर कश्मीर पर उसका केस कमजोर होता है.
लेकिन इन सब से इतर पाकिस्तान सरकार इस थ्योरी पर काम कर रही है कि कश्मीर का मसला जब सुलझेगा तब सुलझेगा, लेकिन जो गिलगित और बाल्टिस्तान का मसला है उस पर एक कदम आगे लेकर जाया जाए और संविधान में इसको जगह दी जाए ताकि चीन के निवेश को सुनिश्चित किया जा सके.
एक बार चीन ने इस क्षेत्र में बड़ा निवेश कर दिया तो फिर इस पर पाकिस्तान का साथ देना चीन की मजबूरी बन जाएगी.
लेकिन हाल में जिस प्रकार मोदी रकार ने पाक के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर अपना रूख अपनाया है उससे पाकिस्तान बेचैन है.
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