विशेष

चौंकाने वाली खबर: भारत में बढ़ रहे हैं जिगोलो

सेक्स वर्कर का नाम लेते ही ज़ेहन में महिलाओं की छवि उभर आती है. भारत ऐसी कई जगहें हैं जहाँ पर इस तरह के धंधे होते हैं. हर बड़े और छोटे शहरों में इनके लिए एक विशेष कालोनी होती है. ऐसी कालोनी आम कालोनी से थोड़ी दूरी पर होती हैं. इन कालोनियों में पुरुषों की भीड़ लगी रहती है. भारत में सेक्स वर्कर में महिलाएं इतनी अधिक हैं कि ५० रूपए में भी अपना जिस्म बेचने को तैयार हैं. महिलओं का इस पेशे में होना आम बात है, लेकिन एक चौंकाने वाली खबर ये है की अब इस धंधे में पुरुष तेज़ी से बढ़ रहे हैं. जी हाँ, अब पुरुष भी सेक्स वर्कर को बतौर प्रोफेशन चुन रहे हैं.
आज हर इन्सान को पैसा चाहिए. कॉलेज से निकलते ही या कहें की कॉलेज में पढ़ते हुए भी लकड़ों को ज्यादा पैसे कमाने की आदत लग गई है. इसके लिए वो इस तरह के काम को अपना पेशा बना रहे हैं.. ऐसे लड़कों की डिमांड भी ज्यादा होती है. पैसा कमाने की होड़ में डिग्री कॉलेजों के लड़के इस व्यापार में लिप्त हो रहे हैं. इन लड़कों से सेवाएं लेने वाली महिलाएं भी बड़े घरानों की होती हैं, जो एक बार के 3 हजार रुपए तक देती हैं. दिल्ली में करीब 20 एजेंसियां हैं, जो जिगोलो की सप्लाई करती हैं. जिगोलो का ट्रेंड दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ आदि में स्थित मिडिल क्लास नाइट क्लबों में तेजी से बढ़ा है.
सबसे ख़ास बात ये है कि इन लड़कों के माता पिता को इनके बारे में बिलकुल अंदाज़ा नहीं होता. ये लड़के घे से बहाना बनाकर दूसरे शहरों में जाते रहते हैं. भारत में कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर वेश्यावृत्ति का स्तर बहुत ही बुरा है. ऐसी जगहों पर 30 रुपए से वेश्याओं की कीमत की शुरुआत होती है. ऐसा ज्यादातर गांव व छोटे कस्बों में होता है और यहीं पर असुरक्षित यौन संबंध ज्यादा बनते हैं.
एक बात तो तय है की ये लड़के सेक्स वर्क में लड़कियों से ज्यादा पैसे लेते हैं. इसका एक कारण ये है कि लड़कियां हर जगह मिल जाती हैं लेकिन लड़कों का मिलना कम होता है. इतना ही नहीं ये लड़के शहरों में अपना धंधा जमाए हुए हैं. इन लड़कों को शहर के अमीर लोग ले जाते हैं और एक रात का ज्यादा से ज्यादा पैसा देते हैं. ऐसे लड़कों के घर पर भी पता नहीं चल पता और उनसे कोई सवाल नहीं करता, क्योंकि वो लड़के हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, 25 फीसदी ‘चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूट्स’ या तो अगवा करके लाई गई होती हैं या उन्हें खरीदकर लाया जाता है, वहीं 18 फीसदी वेशयाओं का तो 13 से 18 साल की उम्र में ही कौमार्य भंग हो जाता है.
पिछले साल यानी २०१६ में एक सर्वे किया गया था. उसकी रिपोर्ट चौकाने वाली थी. सर्वे के मुताबिक देश की कई मेट्रो सिटीज में ऐसे पुरुषों की संख्या बढ़ी है. एक न्यू रिपोर्ट में भी ऐसा दावा किया जा चुका है कि दिल्ली समेत कई महानगरों में भी रात को पुरुषों का गोरखधंधा होता है.
जिस तरह से लड़कियों का इस पेशे में आना खराब है उसी तरह से लड़कों का भविष्य भी अँधेरे में जा रहा है. बहुत ज़रूरी है कि माता-पिता ऐसे बच्चों पर नज़र रखें और उन्हें इस अन्धकार में जाने से बचाएं.
Shweta Singh

Share
Published by
Shweta Singh

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago