दीमापुर नागालैंड के सबसे बड़े जिले में से एक है.
भारत के उत्तर पूर्व हिस्से में स्थित नागालैंड राज्य में प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ भुत सी पौराणिक कथाओं के प्रमाण भी मिलते है.
दीमापुर में एक स्थान है जहाँ आज भी पत्थर के विशालकाय मोहरे रखे है. इन मोहरों में से कुछ समय के साथ साथ खंडित हो गए लेकिन कुछ आज भी पूरी तरह से ठीक है.
कहा जाता है कि ये विशालकाय मोहरे एक विशालकाय शतरंज का हिस्सा थे. कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस विशालकाय शतरंज को महाबली भीम और उनके पुत्र घटोत्कच खेलते थे.
इन मोहरों का आकार और इनका भार इतना ज्यादा है कि साधारण मनुष्य द्वारा इन्हें हिला पाना भी असम्भव है.
दीमापुर का सम्बन्ध महाभारत काल से है. आज भी यहाँ रहने वाली एक जनजाति खुद को हिडिम्बा का वंशज मानती है.
हिडिम्बा एक राक्षसी थी जिसका विवाह भीम के साथ हुआ था. दीमापुर के जंगलों के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पांडवों ने अपने वनवास के बहुत से साल व्यतीत किये थे.
घटोत्कच के जन्म की कहानी
वनवास के दौरान पांडव एक वन से दुसरे वन में भटक रहे थे. घूमते घूमते वो एक बार दीमापुर के जंगलों में आ गए. इन जंगलों में राक्षस हिडिम्ब और उसकी बहन हिडिम्बा रहते थे.
जब हिडिम्ब को पांडवों के बारे में पता चला तो उसने अपनी बहन को उन सबको मारकर लेन को कहा. हिडिम्बा जब पांडवों को मारने पहुंची तो वह भीम अपने सोये हुए भाइयों और माता की रक्षा कर रहे थे. भीम को देख कर हिडिम्बा मोहित हो गयी और पांडवों को बिना मारे ही लौट गयी.
जब हिडिम्ब को इस बात का पता चला तो वो क्रोधित हो गया और खुद ही पांडवों को मारने पहुँच गया. हिडिम्ब और भीम में भीषण युद्ध हुआ और युद्ध में भीम ने हिडिम्ब का वध कर दिया.
जब पांडव उस वन से जाने लगे तो हिडिम्बा आई और कुंती को कहा कि वो मन ही मन भीम को पति मान चुकी है और भीम के बिना वो प्राण त्याग देगी. हिडिम्बा के प्रेम को देखकर भीम ने हिडिम्बा से विवाह कर लिया.
पांडव उस वन में करीब एक वर्ष तक रहे. भीम और हिडिम्बा के घटोत्कच नामक पुत्र हुआ. उसके नाम के पीछे भी कारण था. भीम हिडिम्बा के पुत्र के सर पर एक भी केश नहीं था, पूरा सर किसी घड़े जैसा लगता था.
घटोत्कच भीम के समान शक्तिशाली और हिडिम्बा की तरह मायावी था. महाभारत के युद्ध में घटोत्कच को मारने के लिए कर्ण को उस ब्रह्मास्त्र का उपयोग करना पड़ा जिसे उसने अर्जुन के वध के लिए संभाल कर रखा था.
हिडिम्बा का एक भव्य मंदिर मनाली में भी है. कहा जाता है कि मनाली में हिडिम्बा को राक्षसी योनी से मुक्ति पाकर देवी रूप प्राप्त किया था.
मनाली के तरह दीमापुर में भी हर साल लाखों पर्यटक महाभारतकालीन अवशेषों को देखने आते है.
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