क्या है इसके लक्षण ?
– पूर्णिमा या अमावस्या में घर के किसी सदस्य का ज्यादा डिप्रेस होना या फिर स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का अचानक से बढ़ जाना.
– गुरूवार, शुक्रवार या शनिवार में से किसी भी दिन हर हफ्ते कुछ न कुछ नकारात्मक घटनाओं का घटना.
– पीड़ित व्यक्ति के शरीर या फिर उसके कपड़ों से गंध का आना.
– पीड़ित व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है. घर के किसी और सदस्य को देखकर अचानक गुस्से में आ जाता है.
– अगर कोई शख्स पैरानॉर्मल समस्या से पीड़ित है तो उसकी आंखे लाल दिखाई देती है और चेहरा भी लाल दिखाई देता है.
– अक्सर सिरदर्द और पेट दर्द की शिकायत होती है. इसके साथ ही उसके कंधों में भारीपन महसूस होता है.
– कभी-कभी पैरों में दर्द की शिकायत होती है और वो शख्स झुककर या पैर घसीट कर चलता है.
– किसी घर में पैरानॉर्मल समस्या है तो उस घर में किसी महिला को हर महीने अमावस्या में पीरियड होता है.
– घर में किसी न किसी सदस्य को अक्सर चोट-चपेट लगती रहती है और वैवाहिक जीवन में स्थिरता नहीं रहती.
– बेवजह हाथ-पैर कांपने लगते हैं और अक्सर आस-पास किसी तरह की गंध का अहसास होता है.
– डरावने सपनें पीछा नहीं छोड़ते. पीड़ित व्यक्ति सपने में किसी के डर से खुद को भागते देखता है. सपने में अक्सर सांप या कुत्ते दिखाई देते हैं.
– सपने में खुद को सीढ़ी से नीचे उतरते देखना और उतरते-उतरते आखिरी सीढ़ी का ग़ायब हो जाना.
– पीड़ित इंसान साते समय दबाव या स्लीपिंग पैरलिसिस महसूस करता है. सोते वक्त अचानक से कुछ अंजान चेहरे दिखाई देने लगते हैं.
– पूरे मुहल्ले में सिर्फ आपके घर के पास कुत्तों का इकट्ठा होना. पानी से और ऊंचाई से डर लगना. व्यापार में अचानक उतार चढ़ाव का होना.
ये कुछ खास लक्षण है जिनसे आप खुद जान सकते हैं कि आपको या आपके घर में किसी प्रकार की पैरानॉर्मल प्राब्लम तो नहीं है. लेकिन अगर यहां कुछ सावधानियां बरती जाए तो खुद को प्रेत बाधा से बचाया जा सकता है.
कैसे करें बचाव ?
– किसी सुनसान जगह या जंगल में मलमूत्र का त्याग करने से बचना चाहिए. इसके अलावा कभी भी सूर्य की ओर चेहरा करके मलमूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए.
– गूलर, मौलसरी, शीशम, मेहंदी जैसे पेड़ों पर प्रेतों का वास होता है इसलिए रात के अंधेरे में इन पेड़ों के नीचे नहीं जाना चाहिए और न किसी ख़ुशबुदार पौधे पास.
– अगर कोई सेब, लौंग या इलायची दे तो उसे नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इन चीज़ों पर प्रेतक्रिया आसानी से की जा सकती है.
– किसी भी झरने, तालाब, नदी या फिर तीर्थ स्थल पर पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए.
– अगर प्रेत बाधा की आशंका हो रही हो तो घर में बजरंगबलि की प्रतिमा की पूजा करने के साथ रोज़ हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए.
– घर में रोज़ाना गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. गुग्गल धूप की धूनी देनी चाहिए और शाम के समय घर में नीम के सुखे पत्तों का धुआं देना भी फायदेमंद होता है.
– सूर्यदेव को रोज़ाना जल से अर्घ्य देने से प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को आराम मिलता है.
अगर आपके साथ भी कुछ ऐसी घटनाएं हो रही है तो इन सावधानियों को बरत कर आप इससे खुद को बचा सकते हैं लेकिन इसके साथ यह भी ज़रूरी है कि आप कभी किसी प्रकार के अंधविश्वास या वहम में न पड़ें.
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