जीत पर जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा की नज़र उत्तर प्रदेश पर है.
उत्तर प्रदेश में 2017 में चुनाव होने वाले हैं. नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी इस चुनाव को किसी भी तरह से हाथ से जाने नहीं देना चाहते.
देश की राजनीति में सबसे ज्यादा प्रभाव अगर किसी राज्य का रहा है तो वो है उत्तर प्रदेश. भारत के अधिकतर प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से ही आये हैं. यहाँ तक की नरेन्द्र मोदी ने भी वाराणसी से चुनाव लड़ा.
लोकसभा में उत्तर प्रदेश का रिजल्ट ही देश का भविष्य तय करता है. यहाँ सपा और बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का राज रहता है. पर 2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह कि रणनीतियों की वजह से भाजपा ने उत्तर प्रदेश में बाजी मार ली थी.
अब बारी है विधानसभा चुनाव की.
अमित शाह ने कानपुर में मिशन 2017 प्रोजेक्ट की प्रगति देखने के लिए भाजपा की एक बैठक रखी और कार्यकर्ताओं से कहा दल, बल, बाहुबल किसी का भी प्रयोग कर उत्तर प्रदेश हाथ से जानी नहीं चाहिए.
हालांकि इस बैठक में भाजपा के उत्तर प्रदेश से कई सांसद गायब थे. ये सांसद हैं, कानपूर से सांसद मुरली मनोहर जोशी, योगी आदित्यनाथ, वरुण गाँधी, राजनाथ सिंह, मनेका गाँधी, संतोष गंगवार, उमा भारती, महेश शर्मा, वी.के.सिंह, मनोहर परिकर और हेमा मालिनी जिनका हाल ही में एक्सीडेंट हुआ है.
अमित शाह ने यहाँ आये भाजपा सदस्यों, कार्यकर्ताओं, विधायकों, सांसदों को चेतावनी दी की अगर वो नरेन्द्र मोदी के गुड बुक्स में रहना चाहते हैं तो उन्हें पहले पंचायत चुनाव जीतना होगा और फिर 2017 का विधानसभा चुनाव. यही नहीं शाह ने केन्द्रीय मंत्रियों को भी कहा की अगर वो विधानसभा चुनाव में रिजल्ट नहीं देते हैं तो उन्हें अपनी नौकरी गंवाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
भाजपा बिहार के ही तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी. और नरेन्द्र मोदी के ही इमेज और कार्य को लेकर चुनाव में उतरेगी.
भाजपा की नज़र अभी बहुजन समाज पार्टी के कुछ उम्मीदवारों पर है और भाजपा उन्हें शामिल करने पर भी विचार कर रही है.
तो बस अब तैयार हो जाइये चुनाव के अलग-अलग रंगों को देखने के लिए.
जहाँ भाजपा अपना पूरा दमखम लगाने वाली है तो सपा, बसपा और कांग्रेस भी चुप नहीं बैठने वाले.
राजनीति में रूचि रखने वालों के लिए आने वाले साल काफी मनोरंजक होने वाले हैं.