आज हम आपको भारतीय राजनीति का एक दिलचस्प किस्सा सुनाने जा रहे है।
जिसमें एक नेता ने अपनी दोस्ती के चक्कर में आकर सरकार गिरा दी थी। वो नेता कोई और नही जॉर्ज फर्नांडिस थे।
जॉर्ज फर्नांडिस एक पूर्व ट्रेड यूनियन नेता, राजनेता, पत्रकार और भारत के पूर्व रक्षामंत्री भी रह चुके है। जॉर्ज फर्नांडिस ने व्यापारिक संघ के नेता, पत्रकार, राजनेता और एक मंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।
जॉर्ज फर्नांडिस जनता दल के प्रमुख नेता थे और बाद में उन्होंने समता पार्टी का भी गठन किया। अपने राजनैतिक जीवन में उन्होंने केंद्र में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने संचार, उद्योग, रेलवे और रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया है। वे एनडीए की बाजपेई सरकार में अकेले क्रिस्चियन मंत्री थे।
जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म जॉन जोसफ फर्नांडिस और एलीस मार्था फर्नांडिस के यहाँ मैंगलोर में 3 जून 1930 को हुआ था।
अपनी स्कूली शिक्षा मैंगलोर से ही पूरी करने के बाद उन्हें माता-पिता ने धर्म की शिक्षा के लिए बैंगलोर भेजा था।
लेकिन वे मुंबई चले गए और वहां जाकर एक तेज-तर्रार व्यापार संघ नेता के रूप में उभरे। उन्होंने 1950 और 60 के दशक में बॉम्बे में कई हडतालों का नेतृत्व किया। 1968 का आम चुनाव जीतकर वे पहली बार संसद की सीढ़िया चढ़े। 1974 की रेलवे हड़ताल में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1975 में उन्होंने आपातकाल के लिए दौरान इंदिरा गाँधी से भी लोहा लिया था। 1977 में उद्योग मंत्री रहते हुए उन्होंने गलत ढंग से कार्य करने के लिए आइबीएम और कोका कोला को देश छोड़ने का निर्देश दिया।
जब साल 1979 में केंद्र में मोरारजी देसाई सरकार थी तब संसद के मानसून सत्र की शुरुआत अविश्वास प्रस्ताव से हुई। 27 जुलाई 1979 को जॉर्ज ने उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और मोरारजी देसाई का साथ छोड़कर चरणसिंह के खेमे में जा मिले। जॉर्ज इस तरह से पाला बदल लेंगे उस वक्त किसी ने नही सोचा था। इसका नतीजा ये हुआ कि मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई और चरण सिंह प्रधानमंत्री बन गए।
आखिर ऐसा क्या हुआ था कि जॉर्ज ने मोरारजी का साथ छोड़कर चरण सिंह के खेमे में जा मिले।
इसके पीछे बताया जाता है कि जॉर्ज के मित्र और उस वक्त के सांसद मधु लिमये का हाथ था। मधु लिमये ने उस वक्त संसद में दोहरी सस्यता का मुद्दा बड़े जोरशोर से उठाया जिसका नतीजा ये हुआ कि जनता पार्टी में विभाजन हो गया और जॉर्ज चरण सिंह खेमे में जा मिले। बताया जाता है कि मधु लिमये सरकार गिरने से पहले जॉर्ज से मिले थे. दोनों में रात भर इस बात को लेकर बहस होती होती रही। मधु ने जाते वक्त अपने पुराने दिनों का वास्ता दिया और जॉर्ज अपने इस पुराने दोस्त को मना नहीं कर पाए। जिसका नतीजा ये हुआ की मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई।
अपने लंबे राजनितिक करियर में एक तेज तर्रार नेता के रुप में अपनी पहचान बनाने वाले 87 वर्षीय जॉर्ज फर्नांडिस पिछले कुछ सालों से राजनीति से दूर है। बीमारी की वजह से उनका अब राजनीति से नाता टूट गया है।