राजनीति

खबरदार मोदी सरकार का ये कदम आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है

भले ही आप मोदी समर्थक हों, लेकिन इस मुद्दे पर आपको मोदी को समर्थन करना भारी पड़ सकता हैं.

अगर ऐसा न होता तो संघ मोदी का विरोध नहीं करता. क्योंकि ये मामला न केवल पर्यावरण से जुड़ा है बल्कि आपकी सेहत से भी जुड़ा है.

आपको बता दें कि जेनेटिक मोडिफाइड यानी जीएम सरसों को मोदी सरकार की एक्सपर्ट कमेटी ने मंजूरी दे दी है. बस इसको पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है.

आपको बता दें कि पूरी दुनिया में जीएम फसलें यानी जेनिटिकली मोडिफाइड अनाजों के खाने और असर को लेकर बहस चल रही है. इन जीएम फसलें लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जा रही है.  दुनियाभर के कई वैज्ञानिक इसका विरोध कर रहे हैं.

जीएम फसलें न सिर्फ संदेह के घेरे में रही है, बल्कि समय-समय पर इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिले हैं. यह बात पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिक, कृषक और पर्यावरणविद् करते आ रहे हैं.

भारत समेत अधिकतर देशों में जीएम फसलें की आयात पर रोक है.

तो ऐसे में सवाल है कि सरकार भला फिर किसके दवाब में इसकोे मंजूरी देने जा रही है. बताया जाता है कि इन फसलों के उपयोग से प्राकृतिक फसलों की बीजधारक क्षमता भी खत्म हो रही है.

एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में गेहूं के ऑर्गेनिक सीड्स से उत्पन्न होने वाली फसलों में से आधी फसलें जीएम बीजों के जरिये संक्रमित हो चुकी हैं. ऐसे में इन्हें अपने देश में इस्तेमाल की इजाजत देना पूरे कृषि ढांचे और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

यही कारण है कि संघ से जुड़े संगठन जैसे स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ व अखिल भारतीय किसान सभा समेत अन्य कई गैर राजनीतिक संगठनों को मोदी सरकार के इस निर्णय का विरोध करने के लिए सड़क पर उतरना पड़ रहा है.

उनका आरोप है कि हजारों साल से प्राकृतिक सरसों हमारे भरोसे का साथी रहा है. लेकिन अब जिस प्रकार मल्टीनेशन बीज कंपनियों के दवाब में भारत सरकार प्राकृतिक सरसों के विकल्प के तौर पर एक नया सरसों ला रही है. वह देश को बरबाद करने वाला है.

अमेरिका जैसा देश भी अपने यहां जीएम फसलें पैदा करने वाली मोंसेंटों कंपनी का खुलकर विरोध कर रहा है. वह इसको बाजार में लाने के सख्त खिलाफ है.

जीएम फसलें कितनी घातक हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जीएम फसलों की खेती से मधुमक्खियों के जीवन पर खतरा में पड़ सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार जीएम काटन की जहां खेती हो रही हैं वहां से मधुमक्खियां समाप्त हो गई हैं.

अंतराष्ट्रीय संगठन जीएम वाच ने एक शोध रिपोर्ट को प्रकाशित करते हुए बताया है कि जीएम फसलों को कीटरोधी बनाने के लिए ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल किया जाता है, जो मधुमक्खियों के लिए घातक है.

आपको नहीं पता होगा इस समय देश में जीएम फसलों के विरोध में सरसों सत्याग्रह भी चल रहा है. इसका मकसद देश के लोगों को जीएम सरसों के दुष्परिणामों से न केवल अवगत कराना है बल्कि बचाना भी है.

Vivek Tyagi

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